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अगर आप भी हैं गर्भवती तो जानिए माँ और शिशु दोनों के लिए कौनसी डिलीवरी है सुरक्षित?

By Healthy Nuskhe | Apr 02, 2020

कोई भी गर्भवती महिला दो तरीके से अपने शिशु को जन्म दे सकती है।पहला नॉर्मल डिलीवरी से दूसरा सिजेरियन डिलीवरी द्वारा। एक स्वस्थ शिशु को जन्म देने के लिए दोनो में से किसी भी विधि का प्रयोग किया जा सकता है। ये बात परिस्थितियों पर निर्भर करती है कि कौनसी डिलीवरी माँ और बच्चे के लिए सुरक्षित है।
कई बार महिला अपनी इच्छा से भी डिलीवरी की प्रक्रिया का चयन कर सकती है।
 
1. नार्मल डिलीवरी क्या है?
यह शिशु के जन्म की वो प्रक्रिया है, जिसमे शिशु का जन्म योनि से होता है। अधिकतर महिलाओं का मानना है कि योनि द्वार से बच्चे को जन्म देना एक अनुभव है, जो जन्म देने वाली माँ महसूस कर सकती है। नॉर्मल डिलीवरी से शिशु का जन्म उसी नियम अनुसार होता है जैसा इसे प्रकर्ति ने बनाया है।

2. सिजेरियन डिलीवरी क्या है?
इस प्रक्रिया में शिशु का जन्म योनिमार्ग की बजाए माँ के पेट का ऑपरेशन करके किया जाता है।

नार्मल डिलीवरी के फ़ायदे-
 
 इस प्रक्रिया में शिशु का जन्म प्राकृतिक तरीके से होता है। ये एक बहुत कठिन प्रक्रिया है जिसमे माँ को असहनीय पीड़ा से गुजरना पड़ता हैं। लेकिन फिर भी इसके अनेक लाभ हैं।

नार्मल डिलीवरी से 24 या 48 घन्टे के अंदर महिला घर जाने में सक्षम हो जाती है। शिशु के जन्म के बाद अगर महिला स्वस्थ है तो पहले भी घर जा सकती है। इसमें एक फायदा यह भी है कि इसमें शिशु के जन्म से महिला की पीठ को पीड़ा नही होती।

नॉर्मल डिलीवरी में महिला अपने शिशु को तुरंत स्तनपान करा सकती है, परन्तु सिजेरियन में ये कष्टदयाक हो सकता है और कई बार नामुमकिन भी हो सकता है।

योनिमार्ग से प्रसव के दौरान योनिमार्ग के चारो ओर की मासपेशियां शिशु के फेफड़ो में पाए जाने वाले द्रव को निचोड़ने का काम करती हैं। इस प्रक्रिया से शिशु को जन्म के समय सांस लेने में समस्या नही होती। 

योनि मार्ग से जन्म लेने वाले शिशुओं को अच्छी जीवाणुओं की खुराक भी प्राप्त हो जाती है।जिससे शिशु की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती हैं।

नॉर्मल डिलीवरी के नुकसान-

नार्मल डिलीवरी में शिशु  का जन्म योनिमार्ग से होता है जिस कारण योनि के आस-पास की स्किन और ऊतको में खिंचाव हो जाता हैं।कई बार ये फट भी जाती हैं और महिला को टांके लगवाने पड़ सकते हैं।कुछ परिस्थितियों में मूत्र अंगों और आंतों पर अत्यधिक जोर भी पड़ जाता है जिससे मांशपेशियों पर चोट लग सकती है।

नार्मल डिलीवरी में कई मामलों में पता चला है, कि जिन महिलाओं ने योनि से शिशु को जन्म दिया उन्हें आगे चलकर उनकी मूत्र नियंत्रित करने वाली मांशपेशियां कमजोर हो जाती हैं जिससे कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

नार्मल डिलीवरी में महिलाओं को गूदा ओर योनिमुख के मध्य भाग में काफी दर्द की समस्या सहन करनी पड़ सकती है।


सिजेरियन डिलीवरी के फ़ायदे-

सिजेरियन डिलीवरी माँ और शिशु दोनों के लिए सही होती है।अधिकांश मामलों में सिजेरियन डिलीवरी पहले से तय होती है।
सिजेरियन डिलीवरी में माँ को शिशु के जन्म सम्बन्ध्ति समय तय होता है, इसलिए तैयारी करने का समय मिल जाता है। इस मामले में ये सुविधाजनक है।

सिजेरियन डिलीवरी के नुकसान -
 
अगर कोई माँ नार्मल डिलीवरी से शिशु को जन्म दे सकती है तो सिजेरियन डिलीवरी से उन्हें ज्यादा फायदा नही मिलता।
सिजेरियन डिलीवरी में महिला 4 से 5 दिन तक अस्पताल में रहती है, और गम्भीर परिस्थितियों में अधिक समय तक भी रहना पड़ सकता है।
इस डिलीवरी में महिलाओं को ऑपरेशन वाली जगह पर कई महीनों या कई सालों तक दर्द हो सकता है।
सिजेरियन में महिलाओं को सबसे अधिक खून की कमी और इंफेक्शन का खतरा होता है।
ऑपरेशन के दौरान माँ के मूत्राशय, और आंत के घायल होने का डर बना रहता है।
अगर पहला शिशु ऑपरेशन से हुआ तो आगे भी इसका खतरा बन जाता है।
ऑपरेशन से हुए बच्चे में आगे चलकर मोटापे के समस्या होती हैं।
जिन माताओं को शुगर की समस्या होती है उनके बच्चों में आगे चलकर ये समस्या बढ़ जाती हैं।

कौनसी डिलीवरी सुरक्षित होती है?
 
हमारे देश मे हर 45000 महिलाओं की मौत सिजेरियन डिलीवरी के कारण होती है क्योंकि अगर ऑपरेशन के बाद साफ- सफाई न कि जाए तो संक्रमण के कारण मौत हो सकती हैं।अन्य देशों की तुलना में भारत मे ये समस्या अधिक है।

शिशु का जन्म प्रकर्ति का नियम है जिसके कारण ये संसार चलता है। प्रकर्ति ने शरीर को इस प्रकार तैयार किया है कि वो संसार के नियम को बढ़ाते हुए अपने बच्चे को सुरक्षित जन्म दे सके। अगर तुलना की जाए तो नॉर्मल डिलीवरी में माँ और बच्चे दोनों है सुरक्षित रहते हैं। इसलिए नॉर्मल डिलीवरी अधिक सुरक्षित रहती है।

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