आजकल महिलाओं के लिए कंसीव करना एक बड़ी चुनौती बन गया है। खराब लाइफस्टाइल, हार्मोनल असंतुलन और हेल्थ संबंधी समस्याओं की वजह से महिलाओं को प्रेग्नेंट होने में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। महिलाओं में कंसीव करने के लिए जो सबसे जरूरी होता है, वह हेल्थ और मैच्योर अंडा है। लेकिन कई बार महिलाओं की ओवरी में अंडे तो बनते हैं, लेकिन यह सही तरह से विकसित नहीं हो पाते हैं। बता दें कि इस स्थिति को छोटे अंडे बनने की समस्या के तौर पर जाना जाता है।
महिलाओं में छोटे अंडे बनना न सिर्फ उनकी प्रजनन क्षमता को प्रभावित करती है, बल्कि यह रिश्तों में खटास और मानसिक तनाव की भी वजह बन सकती है। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बताने जा रहे हैं कि महिलाओं में छोटे अंडे बनने की समस्या क्यों होती है और इस समस्या से आप कैसे निपट सकती हैं।
जानिए क्या कहते हैं डॉक्टर
एक्सपर्ट की मानें, तो हर महीने महिलाओं के ओवरी में एक अंडा बनता है, जोकि धीरे-धीरे बड़ा होता है और जब यह अंडा पूरी तरह से विकसित हो जाता है यानी की 18 से 24 मिनीमीटर के आकार का, तब वह फूटता है। इस प्रोसेस को ओव्यूलेशन कहा जाता है। लेकिन अगर अंडा पूरी तरह से परिपक्व नहीं होता है और इसका आकार 14 से 15 मिमी से आगे नहीं बढ़ता है, तो यह नहीं फूटता है। इस वजह से शुक्राणु और अंडे का मिलन नहीं हो पाता है, फर्टिलाइजेशन नहीं होता है। इस कारण महिलाओं का गर्भधारण संभव नहीं हो पाता है। यह स्थिति तमाम महिलाओं में होती है।
छोटे अंडे बनने की वजह
अंडे के छोटे बनने की वजह एलएच, एफएसएच और एस्ट्रोजन जैसे हार्मोन का असंतुलित होना चाहिए। इसकी वजह से अंडे का विकास रुक सकता है।
वहीं 30 से 35 साल की उम्र के बाद महिलाओं में अंडाणु की गुणवत्ता और मात्रा दोनों ही कम होने लगती है। इस कारण से भी अंडे छोटे बनते हैं।
पीसीओडी में अंडे बनते हैं लेकिन अक्सर यह छोटे रहते हैं या फिर फूटते नहीं हैं। इस वजह से महिलाओं का कंसीव करना मुश्किल हो जाता है।
प्रोलैक्टिन असंतुलन और थायराइड की वजह से ओवरी के काम करने की क्षमता प्रभावित होती है। यह भी अंडे के छोटे होनी की वजह हो सकती है।
खराब लाइफस्टाइल, नींद की कमी और ज्यादा कैफीन या फिर जंक फूड का सेवन भी अक्सर महिलाओं में छोटे अंडे बनने की वजह बन सकता है।
अंडे का आकार बढ़ाने के लिए क्या करें
एक्सपर्ट बताते हैं कि महिलाओं में छोटे साइज के अंडे अक्सर प्रेग्नेंसी में समस्या की वजह बन सकता है। ऐसे में अंडे के आकार को बढ़ाने के लिए आपको इन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
फॉलिक्युलर स्कैनिंग
बता दें कि यह एक तरह का अल्ट्रासाउंड होता है। जिससे हर दिन या 2 दिन के बाद डॉक्टर अंडे के आकार और विकास को मॉनिटर करते हैं। इससे पता चलता है कि अंडा कितना बड़ा है और कब फूटने वाला है।
हार्मोन थेरेपी या इंजेक्शन
अगर अंडा छोटा रह जाता है तो डॉक्टर महिलाओं को FSH और HMG जैसे इंजेक्शन देते हैं। यह इंजेक्शन अंडे के विकास को तेज करते हैं। तो वहीं कई बार महिलाओं को ऑव्यूलेशन ट्रिगर इंजेक्शन भी दिया जाता है। यह इंजेक्शन इस लिए दिया जाता है, जिससे अंडा समय पर फूट सके।
दवाएं
महिलाओं के अंडे के परिपक्व होने में कुछ दवाएं भी मदद करती हैं। इन दवाओं को आप डॉक्टर की सलाह पर ले सकती हैं।
लाइफस्टाइल में जरूरी बदलाव
महिलाएं अंडे को बड़ा करने के लिए इलाज के साथ ही अपनी लाइफस्टाइल में भी जरूरी बदलाव करें। जिससे कि हार्मोन्स संतुलित रह सकें।