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रंग चिकित्सा की अद्भुत क्षमताओं को जानकर चकित रह जाएंगे आप, जानिए पूरी जानकारी

By Healthy Nuskhe | May 11, 2020

रंग चिकित्सा का प्राचीन चिकित्सीय पृष्ठभूमि से बहुत बड़ा संबंध है। गंभीर बीमारियों जैसे, कैंसर आदि के इलाज के लिए रंग चिकित्सा बहुत सफल प्रभावशाली मानी जाती है। चिकित्सा की इस प्रणाली के माध्यम से अपने शरीर में मौजूद कैंसर से छुटकारा पाने के लिए आप किस प्रकार मुकाबला कर सकते हैं, आइए इस लेख के माध्यम से जानते हैं, इसके साथ यह भी जानते हैं कि रंग चिकित्सा का प्रयोग किन रोगों से निजात दिलाने में कारगर साबित हो सकता है। रंग चिकित्सा आपके शरीर में जुटने वाले एक्सोजीनस द्रव्य को बाहर निकालने का महत्वपूर्ण कार्य करती है, रंग चिकित्सा को अंग्रेजी में क्रोमोपैथी के नाम से भी जाना जाता है।


रंग चिकित्सा और सूर्य किरण में संबंध
सूर्य की किरणों में रंग होते हैं, इन रंगों के द्वारा वायुमंडल में मौजूद कीटाणु समाप्त होते हैं। जिससे हमें कीटाणु रहित वायु सांस लेने के लिए प्राप्त होती है। शास्त्रों में सूर्य की उपासना करने को कहा गया है, क्योंकि आरोग्य देव सूर्य को ही माना गया है। सूर्य किरणें ही रंग चिकित्सा को जन्म देती हैं।


सूर्य के प्रकाश में मुख्यतः सात प्रकार के रंग होते हैं।
जिनमें नारंगी, लाल, पीला, हरा, आसमानी, नीला और बैगनी है। जिसमें मुक्ता तीन प्रमुख पीला, नीला और लाल रंगों की औषधि का इस्तेमाल इलाज के लिए किया जाता है।


लाल और पीला रंग क्रमशः रजोगुण तमोगुण से भरपूर होते हैं। लाल रंग उत्तेजित करने व गर्म मिजाज के लिए जाना जाता है। लेकिन प्रेम की पराकाष्ठा भी लाल रंग पर लागू होती है। वही नीला रंग मानव शरीर में शीतलता प्रदान करने के लिए जाना जाता है।


हरे रंग की औषधि से मुख्यतः चर्म रोगों का इलाज किया जाता है शरीर में मौजूद फोड़े, फुंसियों, दाद, खाज, खुजली, चेचक आदि के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है। वहीं रक्तचाप जैसी बीमारियों के लिए यह अत्यंत गुणकारी भी होता है।


नीले रंग की औषधि के प्रयोग के अनुसार ऐसा माना जाता है कि यह शरीर में आंतरिक रक्तस्त्राव से छुटकारा दिलाता है।  नींद की कमी,  मानसिक रुप से विक्षिप्त लोगों पर व लू लगने पर किया जाता है।


सूर्य की किरण में मौजूद नारंगी रंग से बनी बनाई गई औषधियों का इस्तेमाल निमोनिया, क्षय रोग, फेफड़े संबंधी रोग, गठिया, पाचन तंत्र सुधारने आदि के लिए किया जाता है।


सूर्य की किरण के द्वारा जन्मी रंग चिकित्सा पद्धति के द्वारा बनाई गई दवाओं का इस्तेमाल करने के लिए अलग-अलग समय भी निर्धारित होता है। सुबह, दोपहर, शाम तथा भोजन के पहले या भोजन के बाद इन दवाओं को रंगो के अनुसार बनाएगी पद्धति के कारण सेवन करने के लिए कहा जाता है।

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