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प्रदूषण से रहें दूर, वरना भुगतनी पड़ेगी ये सज़ा

By Healthy Nuskhe | Dec 12, 2019

देश के लगभग सभी बड़े शहर इन दिनों वायु प्रदूषण से जूझ रहे हैं। इसकी वजह से लोग गंभीर रूप से प्रदूषित हवा में सांस लेने को मजबूर हैं, जो कि उनकी सेहत और स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव डाल रही है। प्रदूषण से बचना थोड़ा मुश्किल काम है लेकिन नामुमकिन नहीं।

वायु प्रदुषण की बीमारियां- वायु प्रदूषण से बचकर हम इससे पड़ने वाले दुष्प्रभाव और बीमरियों से खुद की और अपने परिवार की सुरक्षा कर सकते हैं। वायु प्रदूषण इंसान के शरीर में जल्दी असर करता हैं क्योंकि यह सांस के साथ हवा के रूप मे शरीर मे पहुंचता है। वायु प्रदूषण से दमा, खांसी, आंखों की रोशनी कमजोर होना,सिरदर्द रहना, फेफड़ों में संक्रमण होना जैसी बीमारियों का सामना करना पड़ कर सकता है।
 
वायु प्रदूषण से होने वाली विकराल बीमारी- 
 
फेफड़ों का रोग- हमारे स्वास्थ्य पर प्रदूषण का गहरा असर पड़ता है। इससे अस्थमा और क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) बढ़ता है जिनमे क्रोनिक ब्रॉन्काइटिस और एम्फ्य्सेमा जैसे रोग शामिल हैं। वायु प्रदूषण का मानव शरीर पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। हवा में मौजूद एलर्जी और रासायनिक तत्व विभिन्न रोगों का उत्पादन करते हैं। प्रदूषित वायु के कारण होने वाले रोगों के सबसे आम उदाहरण अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, त्वचा रोग, सीओपीडी, आंखों में जलन आदि जैसे श्वसन रोग हैं। 
 
कैंसर - वायु प्रदूषण से फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। प्रदूषित हवा और अस्थमा जैसे फेफड़ों के रोगों में सीधा संबंध है। तेजी से बढ़ता प्रदूषण फेफड़ों में कैंसर के फैलने का मुख्य कारक है।  वायु प्रदूषण, फेफड़ों के कैंसर और विभिन्न हृदय रोगों के बीच एक गहरा संबंध है। जबकि धूम्रपान फेफड़ों के कैंसर के सबसे बड़े कारणों में से एक माना जाता है, लेकिन बहुत से लोग अपने आस-पास के वातावरण में मौजूद प्रदूषण के कारण कैंसर का शिकार हो गए हैं।
 
ह्रदय रोग- लंबे समय तक कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड के संपर्क में रहने से दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है। यह ख़तरा जनसंख्या के 0.6 से 4.5 प्रतिशत तक को प्रभावित कर सकता है। छाती में दर्द, कफ, सांस लेने में दिक्कत, सांस लेते वक़्त आवाज़ निकलना और गले का दर्द भी वातावरण में दूषित हवा में सांस लेने का लक्षण हो सकता है। कमजोर दिल वाले लोग वायु प्रदूषण के लिए आसान निशाना साबित होते हैं।
 
गर्भवती महिला और उसके बच्चे की बीमारी - किसी भी महिला के लिए गर्भावस्था का समय सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। जन्म के पहले और बाद में बच्चे के स्वास्थ्य के लिए हमेशा एक प्रकार का खतरा होता है। बच्चे के विशेषज्ञों के अनुसार अगर गर्भवती महिलाएं प्रदूषित हवा में अपना जीवन बिताती हैं तो उनके ऊपर दिमागी बुखार, अस्थमा जैसे विभिन्न रोगों का हमेशा खतरा बना रहता है।
 
प्रदूषण से बचाव-
1. एक्यूआई इंडेक्स 150 से ज्यादा होने पर ज्यादा फिजिकल एक्टिविटी वाली एक्सरसाइज, क्रिकेट, हॉकी, साइकलिंग, मैराथन से परहेज करें।  प्रदूषण स्तर के 200 से ज्यादा होने पर पार्क में भी दौड़ने और टहलने ना जाएं। जब प्रदूषण स्तर 300 से ज्यादा हो तो लंबी दूरी की वॉक ना करें। जब स्तर 400 के पार हो तो घर के अंदर रहें, सामान्य वॉक भी ना करें. घर के भीतर रहें।
2. घर से बाहर निकलने से पहले चेहरे पर मास्क जरूर लगाएं। 
3. अपने घर और आस-पास की जगहों पर ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं. ये हवा को प्यूरीफाई करने का काम करते हैं. जिससे आप       ताजी हवा में सांस ले पाएंगे। 
4. जब तक प्रदूषण का स्तर खतरनाक है तब तक बच्चों को बाहर खेलने के लिए ना निकलने दें।
5. अगर आप अस्थमा की समस्या से पीड़ित हैं तो अपनी दवाइयां अपने पास रखें।
6. गर्भवती महिलाओं को सलाह दी जाती है की जब वो घर में रहें तो भी मास्क पहन कर रहें।
7. साइकिलिंग करने से बचें, ज्यादा देर पैदल ना चलें।
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