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जानें क्या हैं चिकनपॉक्स के कारण और इससे कैसे करें अपना बचाव

By Healthy Nuskhe | Mar 03, 2020

गर्मियां अपने साथ ढेर सारे इंफेक्शन और बीमारियां लेकर आती हैं। जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती है, वैसे-वैसे कई तरह की बीमारियां फिर से अपना फन उठा लेती हैं। बीते कुछ दिनों में देश के कई हिस्सों में चिकनपॉक्स यानी चेचक की बीमारी के कई मामले सामने आए हैं। आपको बता दें चिकन पॉक्स (Chicken Pox) रोग एक से दूसरे में फैलने वाली बीमारी है। इस बीमारी में शरीर पर लाल छोटे दाने होने लगते हैं, जिसमें खुजली होती है। यह वेरिसेला जोस्टर वायरस के संपर्क में आने की वजह से होता है। भारत के ज्यादातर राज्यों में चिकन पॉक्स को छोटी माता भी कहा जाता है। 

मान्यताओं के मुताबिक, चिकन पॉक्स उस इंसान को होता है, जिसपर माता का बुरा प्रकोप पड़ता है। ऐसे में इस दौरान उनकी पूजा करने पर माता व्यक्ति की बॉडी में आती हैं और बीमारी को ठीक कर देती हैं। लोग चिकन पॉक्स का इलाज करवाने की जगह इस दौरान काफी प्रिकॉशन रखते हैं और 6 से 10 दिन में बीमारी के ठीक होने का इंतजार करते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है, चिकन पॉक्स होने पर मरीज को तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

चिकनपॉक्स एक संक्रामक बीमारी है और अगर सही समय पर इसके लक्षण पहचान कर इलाज ना करवाया जाए तो ये और ज्यादा हो जाता है। इससे बचने के लिए सही समय पर इसका इलाज करना बहुत जरूरी है। तो इसी को ध्यान में रखते हुए आज के इस लेख में हम आपको बताएंगे की इसके कारण,लक्षण और इससे बचाने के उपाय के बारे में।

चिकन पॉक्स के कारण

यह बीमारी वेरिसेला जोस्टर वायरस के संपर्क में आने के कारण होती है।

यह सर्दी खांसी के द्वारा भी फैल सकती है।

चिकन पॉक्स के दौरान वायरस फफोले के तरल से सीधे फैलता है।

जिस व्यक्ति को चिकन पॉक्स हुआ है, उस व्यक्ति द्वारा इस्तेमाल की जा रही वस्तुओं से भी वायरस फैलता है।

चिकन पॉक्स के लक्षण

छोटी माता आमतौर पर गर्दन, चेहरे और पीठ पर होती है।

इस बीमारी का मुख्य लक्षण शरीर के अलग-अलग हिस्सों पर लाल रंग के चकत्ते दिखना है।

इस बीमारी में करीब 7 से 10 दिन तक शरीर पर लाल दाने और चकत्ते बने रहते हैं।

इस बीमारी में मरीज को पहले बुखार आता है, फिर शरीर में दाने निकलने लगते है।

छोटी माता के दौरान भूख का न लगना एक सामान्य लक्षण है।

कैसे करें चिकन पॉक्स से बचाव

चिकन पॉक्स होने पर उस व्यक्ति को ज्यादा से ज्यादा फलों का सेवन करना चाहिए। अंगूर, केला, सेब, खरबूजा आदि फलों का सेवन करना चाहिए। ये फल मरीज के शरीर से कमजोरी को दूर करते हैं।

इस दौरान अच्छी मात्रा में दही का सेवन करना चाहिए। दही में कैल्शियम और प्रोबायोटिक्स भरपूर मात्रा में मौजूद होता है।

इस दौरान नारियल पानी का सेवन करना चाहिए। इसके सेवन से शरीर में पानी की कमी नहीं होती है। नारियल पानी में शून्य कैलोरी होने की वजह से ये शरीर को ठंडा और प्रतीक्षा प्रणाली को मज़बूत बनता है।

मरीज को दोपहर और रात के भोजन में दाल का सेवन जरूर करना चाहिए।

इस दौरान तुलसी और कैमोमाइल हर्बल चाय का भी सेवन कर सकते है।

नीम की पत्तियों को पीसकर एक पेस्ट तैयार कर लीजिए। नहाने के बाद इस पेस्ट को बड्स की मदद से चेचक के दानों पर लगाएं। हो सकता है पेस्ट लगाने के कुछ समय बाद आपको खुजली होने लगे लेकिन खुजलाएं नहीं। इसके कुछ दिनों के इस्तेमाल से ही फायदा होने लगेगा।

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