सावन के पवित्र महीने में लोगों को शाकाहारी भोजन खाने की सलाह दी जाती है। वहीं अधिकतर लोग इसको धार्मिक महीने से जोड़कर देखते हैं। क्योंकि सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है। इसलिए इस महीने हिंदू धर्म के लोग शाकाहारी भोजन खाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मानसून में मांस खाने से मना करने के पीछे कुछ स्वास्थ्य कारण भी हैं। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बताने जा रहे हैं कि चिकन-मटन खाने से क्या होता है और इसको खाने से सेहत क्यों बिगड़ सकती है।
बकरे का मांस
आयुर्वेद के अनुसार, बकरे का मांस या फिर मटन के सेवन से वात, कफ और अग्नि की समस्या बढ़ जाती है। क्योंकि मांस भारी और चिकनाई युक्त होता है और इसको पचाने में भी दिक्कत होती है। अगर आप बारिश के मौसम में बकरे का मांस खाता है, तो उसको भारीपन, अपच, सूजन, जोड़ों में दर्द और नींद में बेचैनी की समस्या हो सकती है।
मुर्गे का मांस
इस मौसम में चिकन खाने से कब्ज, अपच, गैस और दस्त की समस्या हो सकती है। क्योंकि मुर्गे का मांस बहुत चिकना होता है, जिसके कारण व्यक्ति को स्किन संबंधी समस्या भी हो सकती है।
रेड मीट
बीफ या रेड मीट जैसे भारी मांस का सेवन करने से शरीर में भारीपन होता है। इसको पचने में भी समस्या होती है। इनमें भी फैट कंटेंट बहुत ज्यादा होता है। जिस कारण उल्टी, अपच से लेकर फोड़े-फुंसी आदि की समस्या हो सकती है।
मछली
इस मौसम में मछलियों में अंडे होते हैं, जिस कारण से इनको नहीं खाना चाहिए। ऐसी मछलियां खाने से बॉडी में लालिमा और खुजली की समस्या हो सकती है। इसका सेवन करने से शरीर का कफ बढ़ जाता है। जोकि स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
मानसून में क्यों कमजोर हो जाता है पाचन
मानसून में बैक्टीरिया और वायरल इंफेक्शन ज्यादा होता है। बहुत ज्यादा नमी, साफ-सफाई न होने और धूप की कमी से डाइजेशन बिगड़ने की समस्या हो सकती है। इस समय पानी भी साफ नहीं मिलता है और दूषित पानी पीने से भी समस्या बढ़ सकती है।