दुनिया भर में डाइट कोक एक पॉपुलर बेवरेज में से एक है। हेल्थ कॉन्शियस लोग रेगुलर सोडा की जगह कोक जीरो या फिर साइट कोक जैसी ड्रिंक्स पीना पसंद करते हैं। क्योंकि इन ड्रिंक्स में कैलोरी और चीनी नहीं पाई जाती है। इसलिए आज के समय में डाइट कोक का ज्यादा इस्तेमाल किया जा रहा है। साल 1950 के दशक में पहली बार डाइट सोडा को डायबिटीज पेशेंट्स के लिए पेश किया गया था। वहीं वेट कंट्रोल करने या फिर चीनी का सेवन कम करने का प्रयास करने वाले लोगों के बीच यह काफी ज्यादा पॉपुलर है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि डाइट कोक में मौजूद आर्टिफिशियल स्वीटनर और कुछ अन्य इंग्रीडिएंट्स आपके स्वास्थ्य पर निगेटिव असर डाल सकता है। तो आइए जानते हैं डाइट कोक के साइड इफेक्ट्स के बारे में...
डाइट कोक के नुकसान
कैलोरी और चीनी फ्री होने के बाद भी डाइट ड्रिंक्स और ऑर्टिफिशियल स्वीटनर भी स्वास्थ्य को नुकसान पहुंच सकते हैं। आप अगर डाइट कोक को फायदेमंद मानते हैं, तो यह उतना फायदेमंद नहीं होता है और यह आपके स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
डायबिटीज और मेटाबोलिक सिंड्रोम
एक रिपोर्ट के मुताबिक डाइट सोडा और मेटाबॉलिक सिंड्रोम के बढ़ते खतरे के बीच का संबंध है। इन लक्षणों में कोलेस्ट्रॉल का लो लेवल, हाई ब्लड शुगर, एचडीएल (गुड) पेट की चर्बी में वृद्धि, हाई ट्राइग्लिसराइड्स और हाई ब्लड प्रेशर आदि शामिल हो सकता है। मेटाबोलिक सिंड्रोम टाइप 2 डायबिटीज के खतरे को बढ़ा देता है।
वेट गेन
कुछ शोध से पता चलता है कि आपका ब्रेन आर्टिफिशियल स्वीटनर वैसी प्रतिक्रिया करता है, जैसे शुगरी स्वीट्स पर करता है। इसको बार-बार खाने से हाई कैलोरी वाले खाद्य पदार्थों की इच्छा बढ़ सकती है। जिससे वेट बढ़ने का खतरा बढ़ सकता है।
हाई बीपी
कई अध्ययनों से पता चलता है कि रोजाना सिर्फ एक डाइट सोडा पीने से अनियमित दिल की धड़कन और हाई बीपी सहित हृदय संबंधी समस्याओं के खतरे को बढ़ा सकता है।
दांतों की समस्या
डाइट कोक या फिर सोडा आपके दांतों की हेल्थ को खराब कर सकते हैं। डाइट सोडा में फॉस्फोरिक और साइट्रिक एसिड पाया जाता है, जोकि दांतों के इनेमल को नष्ट कर सकता है। दांतों इनेमल कमजोर होने से दांतों में सेंसिटिविटी हो सकती है। साथ ही दांतों की सतह पर गड्ढे हो सकते हैं और इससे दांतों के रंग में भी बदलाव हो सकता है।
बोन डेंसिटी
बता दें कि डाइट सोडा में फास्फोरस पाया जाता है, जो बोन डेंसिटी को कम कर सकता है। वहीं ऑस्टियोपोरोसिस के खतरे को बढ़ा सकता है। खासकर यह समस्या वृद्ध वयस्कों में हो सकता है।