Health Tips: सेहतमंद रहने के लिए रोजाना करें कपालभाति प्राणायाम, बरतें ये सावधानियां
- अनन्या मिश्रा
- Jul 02, 2025

प्राचीन काल से योग में प्राणायाम का विशेष स्थान है। प्रणायाम श्वास के जरिए जीवन ऊर्जा के प्रवाह को कंट्रोल करने और बढ़ाने की तकनीक है। यह ऐसा ही शक्तिशाली प्रणायाम कपालभाति है। यह तन और मन को डिटॉक्स करने वाली ब्रीदिंग तकनीक है। इसको रोजाना करने से न सिर्फ स्वास्थ्य अच्छा रहता है, बल्कि चेहरे पर चमक आती है और मानसिक स्वास्थ्य अच्छा रहता है। कपालभाति प्राणायाम क्या है, इसको कैसे करना चाहिए और इस आसन को करते समय कौन सी सावधानियां बरतनी चाहिए।
कपालभाति प्राणायाम
कपालभाति प्रणायाम सफाई अभ्यास के अंतर्गत आता है। जोकि षट्कर्म है और छह मुख्य सफाई अभ्यासों में से एक है। सफाई का उद्देश्य फेफड़ों को शुद्ध करना है। आसान शब्दों में समझें कि शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने और श्वसन प्रणाली को साफ करने में सहायता करता है। साथ ही इस आसन को करने से मानसिक जागरुकता बढ़ाता है। इसको करते समय आपको एक बात का ध्यान रखना होता है कि सांस लेने के लिए पेट का इस्तेमाल करें। जिससे कि कपाल में सांस की तीव्रता और ऊर्जा महसूस हो।
ऐसे करें कपालभाति प्राणायाम
इसको करने के लिए सुखासन, पद्मासन या वज्रासन में बैठें।
इस दौरान रीढ़ को सीधा रखें और कंधों को रिलैक्स करें और फिर हाथों को घुटनों पर रखें।
आंखें धीरे से बंद करें और पूरा ध्यान सांसों पर लगाएं।
नाक से गहरी और धीमी सांसें लेना शुरू करें और फिर जोर से छोड़ें।
नाक से सांसों को जोर से बाहर निकालने के लिए पेट की मांसपेशियों का इस्तेमाल करना चाहिए।
जब भी आप सांस छोड़ें तो आपका पेट अंदर जाना चाहिए।
करीब 20 बार सांसों को छोड़ें और फिर धीरे से सांस लें।
इसको एक राउंड के रूप में गिना जाता है।
फिर 1-2 राउंड शुरू करें और सुविधा और क्षमतानुसार धीरे-धीरे 3-5 राउंड तक बढ़ाएं।
आसन को पूरा होने के बाद थोड़ी देर आराम करें।
अगले चक्र को शुरू करने से पहले अपनी सांस को सामान्य होने दें।
फायदे
जोर से सांस लेने और छोड़ने से कार्बन डाइऑक्साइड और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में सहायता मिलती है। जिससे श्वसन प्रणाली साफ होती है और बॉडी को एनर्जी मिलती है। यह अंगों को भी शुद्ध करने का काम करता है।
रोजाना इस आसन को करने से फेफड़ें मजबूत होते हैं और नाक का मार्ग साफ होता है। इससे श्वसन स्वास्थ्य अच्छा होता है और साइनस और अस्थमा से जुड़ी समस्याएं दूर रहती हैं।
कपालभाति करने के दौरान पेट के आंतरिक अंगों की मालिश होती है। पाचन और मेटाबॉलिज्म मजबूत होता है। इसलिए रोजाना इस प्राणायाम करने वाली महिलाओं को पेट से जुड़ी समस्याएं जैसे अपच, कब्ज और एसिडिटी आदि नहीं होती है।
इसको करने से मेटाबॉलिज्म रेट बेहतर होती है चर्बी तेजी से जलती है। इससे पेट के आसपास की चर्बी और वेट कम होती है।
यह ब्रेन में ऑक्सीजन की आपूर्ति को बढ़ाता है, जिससे याद्दाश्त, मानसिक सतर्कता और फोकस बढ़ती है।
इस आसन को करने से नर्वस सिस्टम बैलेंस और पैरासिम्पेथेटिक सिस्टम को कंट्रोल करता है। यह हार्ट रेट को धीमा करता है और बीपी को कम करता है। इससे मन शांत रहता है और तनाव कम होता है।
रोजाना इसको करने से सेपैंक्रियाज और थायराइड जैसे ग्लैंड उत्तेजित होते हैं। इससे हार्मोंस से जुड़े काम सही तरीके से करने लगते हैं।
इस आसन को करने से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है। इससे हमारे सभी अंगों को सही पोषण मिलता है।
कपालभाति प्रणायाम शरीर में प्राण ऊर्जा को एक्टिव करता है और इससे दिनभर शरीर को एनर्जी मिलती है। साथ ही सकारात्मकता बनी रहती है।
कितनी बार करें कपालभाति प्राणायाम
इसको खाली पेट करना चाहिए।
20 सांसों के 1-2 राउंड से शुरू करें।
फिर धीरे-धीरे रोजाना 3-5 राउंड तक बढ़ाएं।
सावधानियां
प्राणायाम करने के समय सांस लेने की स्पीड अधिक घटानी या बढ़ानी नहीं चाहिए।
इस दौरान आपका पूरा फोकस पेट की मूवमेंट पर होना चाहिए।
कपालभाति प्रणायाम करने के दौरान कंधे नहीं हिलने चाहिए।
सांस अंदर लेते समय पेट बाहर की तरफ और सांस छोड़ते समय पेट अंदर की तरफ होना चाहिए।
अगर आप प्रेग्नेंट हैं या फिर हर्निया, हार्ट या हाई बीपी की समस्या से परेशान हैं, तो आपको कपालभाति करना चाहिए।
डिस्क्लेमर: इस लेख के सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन सुझावों और जानकारी को किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर न लें। किसी भी बीमारी के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।