अपने जीवन में महिलाओं को कई तरह के शारीरिक बदलावों से गुजरना पड़ता है। महिलाओं को पेरिमेनोपॉज फेज से गुजरना पड़ता है। बता दें कि यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें महिलाओं में पीरियड्स अनियमित हो जाते हैं। महिलाओं का यह फेज कुछ सालों तक चलता है। फिर उसके बाद मेनोपॉज फेज शुरू हो जाता है। पेरिमेनोपॉज के दौरान महिलाओं के शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं और इस दौरान उनके अंडाशय हार्मोन्स का उत्पादन कम करना शुरूकर देता है। जिसके कारण महिलाओं के शरीर में पेरिमेनोपॉज फेज में हार्मोन्स का लेवल गिरने लगता है। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बताने जा रहे हैं कि पेरिमेनोपॉज फेज में कौन-से हार्मोन्स का स्तर कम हो जाता है।
पेरिमेनोपॉज में कौन से हार्मोन्स कम होते हैं
पेरिमेनोपॉज के दौरान एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोन्स का लेवल कम हो जाता है। अगर आप भी इस फेज में हैं, तो आपके शरीर में इन हार्मोन्स का लेवल धीरे-धीरे कम हो सकता है।
एस्ट्रोजन हार्मोन
महिलाओं के शरीर में पेरिमेनोपॉज के दौरान एस्ट्रोजन हार्मोन का लेवल धीरे-धीरे कम हो जाता है। वहीं जब महिला पेरिमेनोपॉज फेज में आती है, तो शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन का लेवल कम हो जाता है। पेरिमेनोपॉज के दौरान मेनोपॉज फेज तक में गिरावट आ जाती है।
प्रोजेस्टेरोन हार्मोन
महिलाओं के शरीर में पेरिमेनोपॉज के दौरान प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का लेवल कम होने लगता है। जब महिला पेरिमेनोपॉज फेज में आती हैं, तो शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन के अलावा प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का लेवल भी कम होने लगता है। रिप्रोडक्टिव हेल्थ के लिए प्रोजेस्टेरोन हार्मोन बहुत जरूरी होता है। लेकिन जब शरीर में इस हार्मोन की कमी होती है, तो पीरियड्स अनियमित हो जाते हैं। प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का लेवल कम होने पर महिलाएं प्रेग्नेंट हो सकती हैं, हालांकि इसकी संभावना कम हो सकती है।
हार्मोन्स का लेवल गिरने से होने वाली समस्याएं
बता दें कि पेरिमेनोपॉज के दौरान एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन्स का लेवल कम होने लगता है। इस कारण महिलाओं को कई तरह की शारीरिक और मानसिक बदलावों का सामना करना पड़ता है।
पेरिमेनोपॉज के दौरान महिलाओं को को हॉट फ्लैशेज की समस्या का भी सामना करना पड़ता है।
इस दौरान महिलाओं के पीरियड्स अनियमित होने लगते हैं और साथ ही स्तनों में भी कोमलता आती है।
पेरिमेनोपॉज फेज में हार्मोनल बदलाव होने से यौन इच्छा में कमी आ सकती है। इस फेज में महिलाओं वजाइना ड्राइनेस से जूझना पड़ता है, जिससे फिजिकल इंटिमेसी बनाने के दौरान असुविधा हो सकती है।
इन हार्मोन्स का लेवल कम होने पर महिलाओं को अनिद्रा की समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
पेरिमेनोपॉज के दौरान एस्ट्रोजन लेवल की कमी होने के कारण पेशाब से जुड़ी दिक्कत हो सकती है।
पेरिमेनोपॉज के दौरान महिलाओं में हड्डियों से जुड़ी समस्या हो सकती है। इस फेज में हड्डियों का घनत्व कम हो जाता है, जिसके कारण ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ सकता है।