डिलीवरी के बाद कुछ ऐसी अनजानी परेशानियां जिसे बारे में हर महिला को पता होना चाहिए

  • Healthy Nuskhe
  • Jun 06, 2020

डिलीवरी के बाद कुछ ऐसी अनजानी परेशानियां जिसे बारे में हर महिला को पता होना चाहिए

महिलाओं के जीवन मे माँ बनना एक सपना होता है और एक बच्चे को जन्म देना उनके लिए एक खूबसूरत अनुभव होता है। इस पल को जीने के लिए एक महिला बहुत ही लंबा सफर तय करती है। और वो इस पल के लिए खुद को तैयार करने के लिए खास क्लासेस भी लेती है। लेकिन अधिकतर महिलाएं शिशु को जन्म देने के बाद कई दिनों के लिए तैयार होना भूल जाती हैं।

 

बच्चे की देख-भाल और उसके मोह में वो खुद को और खुद के दर्द को बिल्कुल भूल जाती हैं। शिशु के प्रति वो खुद को समर्पित कर देती हैं। लेकिन वह उन बातों से अनजान होती हैं, जो उनके जीवन में आने वाली होती हैं। कुछ अनजानी परेशानियां बच्चे को जन्म देने के बाद भी आती हैं।


कुछ महत्वपूर्ण बदलाव जो प्रसव के बाद होते हैं:


ब्लीडिंग 

डिलीवरी के बाद बहुत ज्यादा दर्द और ब्लीडिंग वाले मासिक धर्म का अनुभव होगा। यह ब्लीडिंग काफ़ी लंबे समय तक चलती है, डिलीवरी के बाद ब्लीडिंग को रोकने के लिए मैटरनिटी पैड का भी प्रयोग करना पड़ सकता है। शुरुआत में खून का रंग लाल होता है और धीरे धीरे यह गाढ़े भूरे रंग में बदलने लगता है। आमतौर पर यह डिलीवरी के दो से छः हफ्तों तक बना रहता है। साथ ही इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है की आप की किस प्रकार से डिलीवरी हुई है। यह क्रिया हर महिला के साथ अवश्य होती है।


मल त्याग करने में परेशानी 

डिलीवरी के बाद पहली बार मल त्याग करना किसी भी मां के लिए डरावने सपने जैसा ही होता है। यह आमतौर पर बेहद दर्दनाक और असहनीय होता है। कई महिलाएं पूरी तरह हाइड्रेट नहीं होती है और ना ही स्टूल सौफ्टर्न का इस्तेमाल करती हैं। उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कई अस्पताल डिलीवरी के बाद पहली बार मल त्याग करने के बाद ही अस्पताल से छुट्टी दे देते हैं। ताकि घर जाके उन्हें ज्यादा शरीरिक परेशानी ना झेलनी पड़े। इस परेशानी से बचने के लिए महिला को अस्पताल में रूकना भी चाहिए ताकि उनकी तकलीफ़ को नियंत्रित किया जा सके।


अपने पति से नफ़रत करने लगती हैं  

डिलीवरी के बाद महिला के अंदर शारीरक और मानसिक बदलाव आते हैं। कई महिलाएं डिलीवरी के बाद आपने जीवन साथी से नफरत करने लगती हैं। हालांकि उनकी ऐसी अवस्था में उनका जीवन साथी भरपूर साथ देता है। लेकिन मासिक स्थिति सही ना होने के कारण महिला को कोई फर्क नहीं पड़ता। वास्तव में इसमें किसी का कोई कसूर नहीं होता ना महिला का और ना उसके जीवन साथी का क्योंकि एक मां शिशु के सबसे ज्यादा करीब होती हैं और उनका अधिकतर समय शिशु के साथ बीतता है। वह केवल वास्तविकता को स्वीकार करती हैं और व्यवहारिक बनती हैं।


डिप्रेशन 

डिलीवरी के बाद महिला के अंदर काफी बदलाव आता है। जिन में से एक है डिप्रेशन इसे पोस्टपार्टम डिप्रेशन यानी डिलीवरी के बाद होने वाली अवसाद की स्थिति कहा जाता है। इस दौरान महिला के हार्मोन अपने चरम पर होते हैं वो पूरे शारीरिक तंत्र को नियंत्रित करके रखते हैं। जिससे महिला डिप्रेशन और बहुत ही ज्यादा उदासीनता जैसी कंडीशन में चली जाती है। अंत में ऐसी चीजों से परेशान होकर और ज्यादा डिप्रेशन के कारण महिलाएं रोने लगती हैं। जिसपर ना महिलाएं ध्यान देतीं और ना ही उसके परिवार वाले इस बारे में कोई बात चीत करते हैं।


डिस्क्लेमर: इस लेख के सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन सुझावों और जानकारी को किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर न लें। किसी भी बीमारी के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।


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