दुनियाभर में क्रॉनिक बीमारियों का खतरा बढ़ता जा रहा है। जिसके कारण स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं पर अतिरिक्त दबाव पड़ा है। स्वस्थ जीवन जीना हर किसी की चाहत होती है। लेकिन तनाव, लाइफस्टाइल में कमी, खानपान की आदतों और हार्मोनल बदलाव होने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक महिलाएं कई गंभीर बीमारियों की चपेट में जल्दी आ जाती है। वहीं कई बीमारियां ऐसी होती हैं, जो महिलाओं में पुरुषों की तुलना में अधिक देखने को मिलती है। यही वजह है कि डॉक्टर कम उम्र में सभी महिलाओं को अपने स्वास्थ्य को लेकर सावधानी बरतने की सलाह देते हैं। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बताने जा रहे हैं कि महिलाओं में किन बीमारियों का अधिक खतरा होता है।
आर्थराइटिस की समस्या
हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक किसी को भी किसी भी उम्र में बीमारियां हो सकती हैं। लेकिन 50 साल की उम्र के बाद महिलाओं का स्वास्थ्य कई प्रकार से प्रभावित होने लगता है। इसके पीछे हार्मोनल, जैविक और लाइफस्टाइल संबंधी कारण जिम्मेदार हो सकते हैं।
यही कारण है कि मेनोपॉज के बाद महिलाओं में डायबिटीज, आर्थराइटिस, हृदय रोग, सांस की समस्या और एनीमिया के मामले काफी ज्यादा देखने को मिलते हैं। वहीं वजन बढ़ना, अनुचित खानपान और शारीरिक गतिविधि की वजह से गठिया आदि का जोखिम अधिक हो सकता है।
थायरॉइड का जोखिम
एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में करीब 200 मिलियन यानी की 20 करोड़ से अधिक लोग थायरॉइड का शिकार हैं। यह विकार बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक और महिला-पुरुष किसी को भी हो सकता है। लेकिन आंकड़ों से पता चलता है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं में थायरॉइड की समस्या अधिक होती है।
महिलाओं में पुरुषों की तुलना में थायरॉइड विकार की आशंका 8 से 10 गुना अधिक होती है। महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन महिलाओं को इस विकार के प्रति अधिक संवेदनशील बना सकता है।
हृदय रोग
दुनियाभर में बड़ी संख्या में महिलाओं को हृदय रोग का खतरा भी प्रभावित करता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक दिल की बीमारियों के कारण हर साल महिलाएं अपनी जान गंवाती हैं। महिलाओं में हृदय रोग के मामलों के लिए एस्ट्रोजन हार्मोन के असंतुसन को बड़ा कारण माना जाता है। इससे रक्त वाहिकाओं पर असर होता है।
तनाव और अवसाद की समस्या भी महिलाओं में अधिक देखी जाती है। जोकि हृदय रोग को बढ़ा सकती है। ऐसे में नियमित व्यायाम और बीपी की जांच, संतुलित आहार लेना चाहिए। वहीं शराब और धूम्रपान से दूरी बनाकर हृदय रोगों से बचे रह सकते हैं।
कैंसर के मामले
महिलाओं को कुछ प्रकार के कैंसर के मामले भी प्रभावित करते हैं। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक महिलाओं में स्तन कैंसर के मामले सबसे आम होते हैं। भारत में यह कैंसर का मामला काफी तेजी से बढ़ रहा है। वहीं महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर का जोखिम भी काफी बढ़ा है। कैंसर के बढ़ते जोखिम के लिए मोटापा, फैमिली हिस्ट्री और हार्मोनल असंतुलन को जिम्मेदार माना जाता है। सर्वाइकल कैंसर के लिए एचपीवी संक्रमण का जिम्मेदार माना जाता है।
एक्सपर्ट की मानें, तो महिलाओं को अपने स्वास्थ्य के प्रति और बीमारियों के प्रति जागरुक रहना चाहिए।
महिलाओं को संतुलित आहार, व्यायाम, नियमित हेल्थ चेकअप और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्याना देना जरूरी है।
महिलाओं को युवावस्था से इन बातों का पालन करना चाहिए। इससे वह एक स्वस्थ और खुशहाल जीवन जी सकती हैं।