मेनोपॉज़ से बढ़ने वाले वजन से हैं परेशान, तो ये टिप्स हैं सिर्फ आपके लिए

  • Healthy Nuskhe
  • Mar 25, 2020

मेनोपॉज़ से बढ़ने वाले वजन से हैं परेशान, तो ये टिप्स हैं सिर्फ आपके लिए

महिलाओं के शरीर में लगातार बदलाव होते रहते हैं। महिलाओं का शरीर ऐसा है, जिसमें समय-समय पर हार्मोन बदलाव होना आम बात है, उम्र के साथ शारीरिक प्रक्रियाओं में भी बदलाव होता रहता है। परन्तु महिलाओं को निश्चित उम्र के बाद एक महत्वपूर्ण शारिरिक बदलाव के दौर से गुजरना होता है। यदि उम्र 40 या 50 साल के पार हैं, और शरीर में अचानक गर्मी बढ़ती है, सोते समय पसीना आता है तो समझिए मेनोपॉज यानी रजोनिवृत्ति का वक्त आ गया। इसका फायदा यह होगा कि पीरियड्स आने बंद हो जाएंगे, पीरियड के दर्द से मुक्ति मिलेगी, लेकिन एक बड़ा नुकसान ये होता है, कि शरीर मे कई बीमारियां आने लगती हैं, जैसे चर्बी बढ़ने लगती है। हार्टफेल की समस्या हो सकती है। मेनोपॉज़ से बढ़ रहे वजन को कम किया जा सकता है। उस से पहले ये जानना आवश्यक है कि मेनोपॉज़ आखिर है क्या?


मेनोपॉज़- एक उम्र के बाद महिलाओं में सबसे बड़ा शारीरिक बदलाव होता है, कि अंडाशय में अंडा बनना बंद हो जाता है। जिसके कारण पीरियड्स आने बन्द हो जाते हैं। और महिला मां नहीं बन सकती इतना पढ़कर तो लगता है। कि मेनोपॉज़ एक अच्छी चीज है। परंतु इसके नुकसान भी हैं, जैसे- मेनोपॉज के कारण महिलाओं के शरीर में एस्ट्रजन हार्मोन का बनना कम हो जाता है जोकि हृदय की रक्षा करता है। इसके बाद कुछ अन्य जरूरी हार्मोन भी कम होने लगते हैं जैसे एस्ट्रडाइओल। यह हार्मोन मैटाबॉलिज्म को नियंत्रित करता है। स्ट्रडाइओल हार्मोन की मात्रा घटना यानी वजन बढ़ना। खासतौर पर पेट के आसपास जमने वाली चर्बी हानिकारक होती है। मेनोपॉज के बाद पेट में चर्बी जमने के अपने नुकसान हैं। सांस लेने में समस्या होती है। हार्ट से जुड़ी बीमारियों के साथ ही डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। कई रिसर्च में खुलासा हुआ है कि मोटा पेट और ब्रेस्ट, कोलन या एंडोमेट्रियल कैंसर का कारण भी बनता है। मेनोपॉज़ इकलौता कारण नहीं है चर्बी बढ़ने का आम बात है कि 40 की उम्र के बाद पुरुष व महिलाएं कम सक्रिय होते हैं। वह अपने लाइफ स्टाइल को सही तरीके से मेंटेन नहीं कर पाते हैं। व्यायाम, एक्सरसाइज नही करते हैं। जिसके कारण भी चर्बी बढ़ती है।


मेनोपॉज़ के कारण बढ़े वजन को कम करने के उपाय- 

 

स्वस्थ जीवनशैली

सुबह उठते ही सक्रिय हो जाएं। यदि पहले कभी वर्कआउट नहीं किया है तो मेनोपॉज़ के बाद शुरू कर दें। दिन में कम से कम 75 मिनट जॉगिंग करें। वॉकिंग भी अच्छा विचार है। हफ्ते में कम से कम पांच या छह दिन 35-35 मिनट वॉकिंग करें। गति 6 किमी प्रति घंटा से तेज होनी चाहिए। उम्र के साथ मांसपेशियां कमजोर होती जाती हैं। स्ट्रैंथ बढ़ाने वाली ट्रैनिंग और वजन उठाने की ट्रैनिंग से मांसपेशियां मजबूत होंती हैं। साथ ही कैलोरी भी ज्यादा खर्च होगी। एरोबिक्स एक्सरसाइज भी चर्बी कम करने का अच्छा तरीका है।


खाने पर देना होगा ध्यान

खाने के मामले में  जीभ को कंट्रोल करना बहुत ही मुश्किल होता है। स्वाद के चक्कर में हम अनावश्यक चीजें खा लेते हैं।  जो कि वजन बढ़ाने का सबसे मुख्य कारण होती है।वजन कम करने के लिए खाने- पीने पर भी विशेष ध्यान देना होगा, ज्यादा कैलोरीज वाली चीजें छोडकर हेल्थी चीजें ही खानी होगी । इसलिए बाहर की चीजें ना खाकर फल, सब्जियां, अनाज इत्यादि चीजें ज्यादा खानी चाहिए। दाल, सब्जी आदि चीजों का सेवन करना सबसे अच्छा होता है।


तनाव से दूरी बनाए रखें

तनाव और चिंता हमेशा से ही मनुष्य के दुश्मन रहे हैं हम किसी भी अवस्था में क्यों न हो तनाव और चिंता हमारी सेहत के लिए घातक होता है।तनाव के कारण शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन का लेवल बढ़ जाता है। इससे वजन बढ़ता है। योग और ध्यान से खुद को शांत और सेहतमंद रखने के कारगार उपाय हैं।


भरपूर नींद

मोनोपॉज एक ऐसी  परिस्थिति है। जिसमें महिलाओं को मानसिक और शारीरिक तनाव हो जाता है। इस अवस्था में महिलाओं को भरपूर नींद लेनी चाहिए और तनाव से दूरी बनाए रखनी चाहिए। भरपूर नींद  शरीर को आराम देने और तनाव से दूरी बनाने में सहायता करती हैं।जब भरपूर नींद नहीं लेते हैं तो इसका असर  हंगर हार्मोन पर पड़ता है। ज्यादा भूख लगती है और ज्यादा खाने से चर्बी जमने लगती है। जो लोग रात में नहीं सोते हैं, उनके ज्यादा कैलोरी का सेवन करने का खतरा बढ़ जाता है। ध्यान रहे, मेनोपॉज के दौरान होने वाली गर्मी और सोते  समय आने वाला पसीना नींद में बाधा डालता है।


मेनोपॉज की परिस्थिति में महिलाओं को अपने खान- पान, रहन -सहन पर ध्यान देने की ज्यादा जरूरत है अगर अपनी जीवनशैली में परिवर्तन करके उसे स्वस्थ रूप से जिया जाए तो इस समस्या से नहीं जूझना होगा।

डिस्क्लेमर: इस लेख के सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन सुझावों और जानकारी को किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर न लें। किसी भी बीमारी के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।


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