Women Health Tips: पीरियड्स से जुड़े इन मिथ में कितनी है सच्चाई, जानिए मेंस्ट्रुअल हाइजीन को कैसे करें मेंटेन

  • अनन्या मिश्रा
  • Jun 14, 2025

Women Health Tips: पीरियड्स से जुड़े इन मिथ में कितनी है सच्चाई, जानिए मेंस्ट्रुअल हाइजीन को कैसे करें मेंटेन

पीरियड्स को लेकर महिलाओं के मन में ऐसे बहुत सवाल होते हैं, जो वह पूछने से कतराती हैं। यह महिलाओं में हर महीने होने वाला एक नॉर्मल बॉयोलॉलिजक प्रोसेस है। जोकि कंसीव के लिए जरूरी है। हालांकि हमारे समाज के कुछ हिस्सों में आज भी इसको एक टैबू के रूप में देखा जाता है। वहीं सवाल न पूछ पाने के कारण महिलाओं को खुद को पीरियड्स के बारे में सही जानकारी नहीं होती है। जैसे पैड कितने घंटे में बदलना चाहिए, इन दिनों में सुस्ती, थकान या चिड़चिड़ापन क्यों महसूस होता है, पेट क्यों खराब हो जाता है या तेज दर्द क्यों होता है। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम इन्हीं सारी चीजों के बारे में जानेंगे।


पीरियड्स के दिनों में सेक्शुअल रिलेशन

एक्सपर्ट बताते हैं कि पीरियड्स के दिनों में सेक्शुअल रिलेशन बनाने से प्रेग्नेंसी की संभावना काफी कम होती है। इसका मतलब यह नहीं होता कि आप प्रेग्नेंट नहीं हो सकती हैं। हालांकि इस समय में कंडोम का अन्य किसी कॉन्ट्रासेप्शन का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए।


कितने घंटों में पैड बदलना चाहिए

पीरियड्स के दौरान सही हाइजीन मेंटेन करना बहुत जरूरी होता है। आपको हर 4-5 घंटे में पैड बदलना चाहिए, वरना इंफेक्शन का खतरा हो सकता है। वहीं अगर फ्लो कम भी आ रहा है, तब भी पैड बदलते रहना चाहिए।


पेट खराब होना

पीरियड्स के दौरान शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन के लेवल में उतार-चढ़ाव होता है। इस समय पर कुछ महिलाओं को कब्ज हो जाती है। वहीं, कुछ महिलाओं को लूजमोशन हो सकते हैं। ऐसा प्रोस्टाग्लैंडीन में बदलाव की वजह से भी होता है।


पीरियड्स में मूड स्विंग

एक्सपर्ट की मानें, तो पीरियड्स से पहले एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन कम हो जाता है। साथ ही हैप्पी हार्मोन सेरोटोनिन का लेवल भी बदलता है। वहीं अगर आपको पहले से तनाव है, तो बॉडी में कोर्टिसोल का लेवल भी बढ़ा होता है। जिस कारण बिना बात के रोना, चिड़चिड़ाना और गुस्सा आना जैसी परेशानियां हो सकती हैं।


पीरियड्स में पैड या मेंस्ट्रुअल कप

आजकल महिलाएं पीरियड्स के दौरान मेंस्ट्रुअल कप का इस्तेमाल कर रही हैं, यह पैड की तुलना में कई वजह से बेहतर माना जाता है। इससे इंफेक्शन की संभावना कम होता है और वजाइना में जलन या फिर रैशेज नहीं होते हैं। लेकिन इसको लगाने में कुछ परेशानी हो सकती है।


नींद पर असर

पीरियड और पीएमएस के दौरान कुछ महिलाओं को अधिक नींद आती है। तो कुछ महिलाओं को इन दिनों नींद आने में मुश्किल है। तो बता दें कि ऐसा हार्मोनल बदलावों की वजह से होता है। इन दिनों आपको सुस्ती और थकान हो सकती है, इससे नींद पर असर पड़ता है। 


पीरियड्स में ब्लड फ्लो

हालांकि इसका कोई मानक नहीं है। लेकिन यह सभी महिलाओं में अलग-अलग हो सकता है। आमतौर पर पीरियड के दौरान 3-5 दिन ब्लड फ्लो आना नॉर्मल होता है। अगर आपको हैवी फ्लो आ रहा है या ब्ल फ्लो न के बराबर है सि्रफ 1-2 दिन आ रहा है। तो यह सही नहीं है और आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। 


पीरियड्स में तेज दर्द होना

भले ही पीरियड्स के दौरान सभी महिलाओं को दर्द होता है। लेकिन कुछ महिलाओं को पीरियड्स के दिनों में बर्दाश्त का बाहर दर्द होता है। ऐसे में इसके पीछे कोई हेल्थ कंडीशन हो सकती है, जिन पर ध्यान दिया जाना जरूरी है।

डिस्क्लेमर: इस लेख के सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन सुझावों और जानकारी को किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर न लें। किसी भी बीमारी के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।


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