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जानिए आखिर 28 मई को विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस के रूप में क्यों मनाया जाता है?

By Healthy Nuskhe | May 28, 2020

पूरे विश्व भर में प्रत्येक दिन किसी ना किसी चीज के लिए बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। कभी किसी की जयंती के रूप में मनाते हैं, तो कभी किसी त्यौहार के रूप में इसी तरह 28 मई पूरे विश्व भर में विश्व मासिक धर्म के रूप में मनाया जाता है। महिलाओं और लड़कियों को महावारी के दौरान कई प्रकार की चुनौतियों और परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

महिलाओं और लड़कियों को ऐसी दिक्कतों का सामना ना करना पड़े, इसीलिए विश्व मासिकधर्म स्वच्छता दिवस को मनाया जाता है। इस दिवस का उद्देश्य है, समाज में फैली उस क्रूर मानसिकता को दूर करना जो कि महावारी के दौरान महिलाओं को अछूत और घृणा की नजर से देखते हैं। लोगों के अंदर कई तरह की अवधारणाएं बनी हुई हैं, जैसे कि माहवारी के दौरान महिलाओं को किसी धार्मिक स्थल या रसोई में जाने की अनुमति नहीं होती और न जाने क्या-क्या पुराने प्रकरण लोगों के दिमाग में चलते रहते हैं। 

इन सभी बुराइयों को और अवधारणाओं को दूर करने के लिए विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस मनाया जाता है। इस दिन से इस बात का भी प्रयास किया जाता है, कि महिलाओं और लड़कियों को माहवारी से संबंधित सभी सही जानकारियां दी जाएं। 28 मई की तारीख निर्धारित करने के पीछे कारण यह है कि मई वर्ष का पांचवा महीना होता है। यह अमूमन प्रत्येक 28 दिन के पश्चात होने वाले तरीके 5 दिनों की मासिक चक्र का परिचायक है। इसीलिए इस दिन को इस दिवस के रूप में चुना गया।
 
यूपी के कन्नौज जिले में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. कृष्ण स्वरूप ने बताया कि 28 मई को जिले के सभी अस्पतालों में विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस मनाया जा रहा है। इसके लिए जागरुकता रैलियां निकालकर किशोरियों और महिलाओं को मासिक धर्म के प्रति जागरूक किया जाएगा।

क्या है माहवारी ?

आमतौर पर मासिकधर्म 9 से 13 साल की लड़कियों को होने लगता है। यह शरीर में होने वाली एक सामान्य हार्मोनल प्रक्रिया है। इसके होने से शरीर में बहुत ही महत्वपूर्ण परिवर्तन होते हैं। यह क्रिया बिल्कुल प्राकृतिक है, यह सभी लड़कियों में किशोरावस्था के अंतिम चरण से शुरू हो जाती है। और यह मासिकधर्म महिलाओं के अंदर काफ़ी लंबे समय तक जारी रहता है।
 
आज की 21वीं सदी में बहुत-सी ऐसी लड़कियां और बच्चियां है जो मासिक धर्म के दौरान स्कूल नहीं जाती। उन्हें अलग-अलग की चीजों का डर रहता है क्योंकि उन किशोरियों को मासिकधर्म के बारे में कोई सही या पूरी जानकारी नहीं होती। साथ ही महिलाएं और लड़कियां को आज भी इस मुद्दे पर बात करने में बहुत झिझक होती है। आधे से ज्यादा लोगों को लगता है महिलाओं और लड़कियों को मासिकधर्म होना एक अपराध है। लोग उन दिनों महिलाओं को एक घिन और अपराधी के रूप में देखते हैं।

NAFHS 2015-16 की रिपोर्ट के अनुसार देश में 58 प्रतिशत महिलाएं ही माहवारी प्रबंधन के लिए स्वच्छ साधन का उपयोग करती हैं। प्रदेशों में यह आंकड़ा केवल 47 प्रतिशत है। महिलाओं की कुल जनसंख्या का 75 प्रतिशत आज भी गांवों में है। इनमें से देश में 48 प्रतिशत व प्रदेश में 40 प्रतिशत महिलाएं ही माहवारी प्रबंधन के लिए स्वच्छ साधन का उपयोग करती हैं। 44 प्रतिशत महिलाएं यह कहती हैं कि वे अपनी माहवारी प्रबंधन की सामग्री को धोकर दोबारा इस्तेमाल करती हैं। आज भी देश के कई परिवार ऐसे हैं, जहाँ लड़कियों को मासिक धर्म के दौरान परिवार से अलग कर दिया जाता है। जो इंसानियत के नाते बिल्कुल भी ठीक नहीं है। 

मासिकधर्म के दौरान लड़कियों को मंदिर जाने या पूजा करने की इजाजत नहीं दी जाती है। साथ ही इन दिनों में रसोई में प्रवेश करना भी वर्जित होता है। उनका बिस्तर अलग कर दिया जाता है। यहां तक कि परिवार के किसी भी आदमी या सदस्य से इस विषय में बातचीत न करने को कहा जाता है। इसलिए मासिक धर्म को लेकर जागरूक होना बहुत ही ज्यादा जरूरी है। 

मासिक धर्म के बारे में लड़कियों को स्कूल में ही शिक्षा देनी चाहिए। स्कूल एक सबसे अच्छी जगह और सही समय है। जहां पर बच्चीयों और लड़कियों को जागरूक किया जा सकता है। यहां इस विषय को यौन शिक्षा और स्वच्छता से जोड़कर चर्चा की जा सकती है। इसके साथ ही स्कूलों में जागरूक और उत्साही शिक्षकों की जरूरत है, जो विद्यार्थियों को मासिक धर्म से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी दे सकें। 
 
घर में बच्चियों की मां और परिवार वाले भी मासिकधर्म के ऊपर अपनी सोच को बदलें। और मासिकधर्म या महावारी के बारे में अपनी बेटियों को सही जानकारी दें। उन्हें अछूत या बुरी नज़र से ना देखें। बच्चीयों को सही समय पर मासिकधर्म के बारे में जानकारी दें। ताकि उनकी बेटी को किसी के सामने शर्मिंदा न होना पड़े।

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