प्रेगनेंसी में बहुत मायने रखती है प्लेसेंटा की पोजीशन, जानिए इसके प्रकार और कौन सी प्लेसेंटल पोजीशन हो सकती है शिशु के लिए खतरनाक

  • Healthy Nuskhe
  • Aug 20, 2020

प्रेगनेंसी में बहुत मायने रखती है प्लेसेंटा की पोजीशन, जानिए इसके प्रकार और कौन सी प्लेसेंटल पोजीशन हो सकती है शिशु के लिए खतरनाक

प्लेसेंटा यानि अपरा गर्भावस्था के दौरान विकसित होने वाला एक मुख्य अंग है। यह गर्भवती माँ को उसके शिशु से जोड़े रखता है और शिशु के विकास में मदद करता है। गर्भवती महिला में फर्टिलाइजेशन (निषेचन) के बाद अंडा गर्भाशय (यूट्रस) की दीवार से खुद को स्थापित करता है। गर्भाशय में जहाँ भी अंडा जुड़ता है वहीं से प्लेसेंटा विकसित होती है। प्लेसेंटा गर्भ में पल रहे भ्रूण को ऑक्सीजन और जरूरी पोषक तत्व प्रदान करती है और इसके साथ ही गर्भनाल (अम्बिलिकल कॉर्ड) के माध्यम से मल पदार्थों को बाहर निकलती है। प्लेसेंटा गर्भशय की दीवार पर आगे, पीछे, किनारे या ऊपरी सतह पर विकसित हो सकती है। है। फर्टिलाइजेशन के बाद अंडा गर्भाशय में जहाँ भी स्थापित होता है उसके मुताबिक प्लेसेंटा की अलग-अलग पोजीशन होती है। कुछ प्लेसेंटल पोजीशन सामान्य मानी जाती हैं तो कुछ प्लेसेंटल पोजीशन ऐसी भी होती हैं जिनके कारण डिलीवरी में समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। आज के इस लेख में हम आपको बताएंगे प्लेसेंटल पोजीशन कितने प्रकार की होती हैं और इनमें से कौन सी पोजीशन का भ्रूण के विकास पर क्या असर होता है - 


पोस्टीरियर प्लेसेंटा 

जब फर्टिलाइज़्ड एग (निषेचित अंडा ) खुद को गर्भाशय की दीवार की पिछली तरफ जोड़ लेता है तो प्लेसेंटा (अपरा) भी गर्भाशय की पिछली तरफ ही विकसित होती है। इस तरह की प्लेसेंटल पोजीशन को पोस्टीरियर प्लेसेंटा कहते हैं। अधिकतर गर्भवती महिलाओं में पोस्टीरियर प्लेसेंटल पोजीशन पाई जाती है। पोस्टीरियर प्लेसेंटा एक सामान्य प्लेसेंटल पोजीशन है। इस स्थिति में भ्रूण का विकास सामान्य रूप से होता है। 


एंटीरियर प्लेसेंटा 

जब अंडा फर्टिलाइजेशन के बाद गर्भाशय की सामने की दीवार की तरफ जुड़ जाता है तो इसे एंटीरियर प्लेसेंटल पोजीशन कहते हैं। इस स्थिति में प्लेसेंटा भी गर्भाशय के सामने की दीवार की तरफ बनती है और भ्रूण उसके पीछे विकसित होता है। ऐसी प्लेसेंटल पोजीशन को सामान्य माना जाता है और इसमें शिशु का विकास ठीक तरह से हो पाता है।  


फंडल प्लेसेंटा 

जब प्लेसेंटा का विकास गर्भाशय की दीवार की ऊपरी सतह पर होता है तो उसे फंडल प्लेसेंटा कहते हैं। फंडल प्लेसेंटा दो तरह की हो सकती है - फंडल पोस्टीरियर प्लेसेंटा और फंडल एंटीरियर प्लेसेंटा। जब प्लेसेंटा गर्भाशय की दीवार की ऊपरी सतह पर पीछे की तरफ विकसित होती है तो उसे फंडल पोस्टीरियर प्लेसेंटा कहते हैं। वहीं, जब प्लेसेंटा गर्भाशय की ऊपरी सतह पर सामने की तरफ विकसित होती है तो उसे फंडल एंटीरियर प्लेसेंटा कहा जाता है। फंडल प्लेसेंटा को भी नार्मल यानि सामान्य प्लेसेंटल पोजीशन माना जाता है। इससे भ्रूण के विकास पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।  


लेटरल प्लेसेंटा 

जब अंडा फर्टिलाइजेशन के बाद गर्भाशय की दीवार पर साइड (दाएँ या बाएँ  किनारे की तरफ) से जुड़ता है तो उसे लेटरल प्लेसेंटा कहते हैं। लेटरल प्लेसेंटा भी बाकी प्लेसेंटल पोजीशन की तरह सामान्य होती है। इस स्थिति में भी भ्रूण का विकास ठीक तरह से होता है। 


लो-लाइंग प्लेसेंटा/प्लेसेंटा प्रिविआ 

जब प्लेसेंटा का विकास गर्भाशय की निचली तरफ या गर्भाशय ग्रीवा (सर्विक्स) के पास होता है तो उसे प्लेसेंटा प्रिविआ या लो-लाइंग प्लेसेंटा कहा जाता है। ऐसी स्थिति में  प्लेसेंटा गर्भाशय ग्रीवा को आंशिक या पूरी तरह से ढक लेती है जिससे डिलीवरी के समय बाधा उत्पन्न हो सकती है। प्लेसेंटा प्रिविआ को असामान्य प्लेसेंटल पोजीशन माना जाता है और इसकी वजह से डिलीवरी के दौरान कई जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है। प्लेसेंटा प्रिविआ में अत्यधिक ब्लीडिंग (रक्तस्त्राव) हो सकती है और ऐसी स्थिति में सिजेरियन डिलीवरी की जाती है।

डिस्क्लेमर: इस लेख के सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन सुझावों और जानकारी को किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर न लें। किसी भी बीमारी के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।


Tags
woman health, different placental position, what are the different placental position, positions of placenta during pregnancy, placental previa, placenta types,प्लेसेंटा की पोजीशन, अपरा की स्थिति, प्लेसेंटा कितने प्रकार की होती है, प्लेसेंटा प्रिविआ

Related Posts