थायराइड से हैं परेशान? तो अपनाएं ये आसान घरेलू उपाय
- Healthy Nuskhe
- May 27, 2020
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थायराइड एक तितली के आकार की ग्रंथि होती है जो एडम एप्पल के ठीक नीचे गर्दन में स्थित होती है। जब थायराइड अत्यधिक सक्रिय हो जाती है और थायरोक्सिन हार्मोन की अत्यधिक मात्रा में उत्पादन करने लगती है। इस स्थिति को हाइपरथायरायडिज्म कहा जाता है।
हाइपरथायरायडिज्म के सामान्य कारणों में शामिल हैं, ऑटोइम्यून डिसॉर्डर इसे ग्रेव्स रोग कहा जाता है। साथ ही थायराइड ग्रंथि की सूजन, थायराइड हार्मोन का असामन्य स्राव, आयोडीन का अत्यधिक सेवन या थायराइड में नरम-सी गांठ या नोड्यूल आदि शामिल हैं। पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में ये बीमारी अधिक होती है। ये बीमारी महिलाओं में लगभग 30 की उम्र में शुरू हो जाती है। परन्तु 60 की उम्र में इसके लक्षण सामान्य रूप से दिखाई देते हैं।
हाइपरथायरोडिज़्म के बहुत से लक्षण दिखाई देते हैं
1. अनियमित दिल की धड़कन
2. घबराहट
3. अत्यधिक पसीना
4. मासिक धर्म चक्र में बदलाव
5. गर्दन के आधार पर सूजन
6. जैसे वज़न का घटना
7. थकान, मांसपेशियों की कमजोरी
8. सोने में कठिनाई महसूस होना आदि शामिल हैं।
थायरॉयड के कई लक्षण अन्य बीमारियों के लिए भी बहुत आम है। इसलिए समस्या को जल्द पहचानना थोड़ा मुश्किल होता है। थायरॉयड का जल्द इलाज दवाओं, सप्लीमेंट्स और लाइफस्टाइल में बदलाव लाकर किया जा सकता है। थायरॉयड का इलाज कुछ प्राकर्तिक तरीको से भी किया जा सकता है। लेकिन कोई भी इलाज करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है।
1. थायराइड से बचने का उपाय है बुगलेवीड
बुगलेवीड जड़ी बूटी को लीकोपसविर्जिनिका भी कहा जाता है। यह शुरुआत में थायरॉयड का इलाज कर सकती है। यह जड़ी बूटी खासतौर पर थायराइड से निकलने वाले हॉर्मोन की मात्रा को कम करती है। यह टीएसएच और थायराइड हार्मोन के स्तर को कम करने में मदद करती है।
बुगलेवीड का ऐसे करें इस्तेमाल –
बुगलेवीड का सेवन करने के लिए सबसे पहले इसे पानी मे 2 चम्मच डालकर अच्छे से उबाले और जब ये अच्छे से उबल जाए । इसका चाय की तरह सेवन करें। इसके अलावा आप इस जड़ी बूटी को लेमन बाम और मदरवोर्ट के साथ भी ले सकते हैं। ये इस रूप में ज्यादा उपयोगी साबित हो सकती है।
नोट- अगर आप प्रेग्नेंट हैं या आपका थायरॉयड ज्यादा बढ़ गया है तो इसका उपयोग न करें।
2. थायराइड कम करने का उपाय है लेमन बाम
लेमन बाम को मेलिसा ओफिसिनलिस के नाम से भी जानते हैं। यह शरीर में टीएसएच लेवल को कम करके थायराइड को कम करने में मदद करती है। इस जड़ी बूटी में डॉक्टरों के अनुसार फ्लेवोनोइड, फेनोलिक एसिड और अन्य उपयोगी यौगिक शामिल हैं, जो थायराइड को नियंत्रित करते हैं।
ये शरीर में एंटीबॉडी की गतिविधि को रोकता है। जिसके कारण थायरॉयड ग्रंथि उत्तेजित होती है, और ग्रेव रोग को बढ़ाती है जो कि हाइपरथायरॉडीजम का एक सामान्य रूप है। अपनी थायरॉयड गतिविधि को सामान्य रखने के लिए नींबू बाम चाय पीना फायदेमंद होता है।
लेमन बाम का कैसे करें इस्तेमाल –
लेमन बाम का इस्तेमाल करना बहुत ही आसान है, इसके लिए एक कप गर्म पानी में नींबू बाम के दो चम्मच मिलाए। पांच मिनट के लिए उसे उबलने के लिए रख दें। अब इस मिश्रण को छान लें और पूरे दिन में तीन बार ज़रूर पियें लाभदायक सिद्ध होता हैं।
इस मिश्रण की शुरुआत धीरे से करें पहले आधा चम्मच लें फिर, और फिर दो चमच्च तक पहुंचें।
3. थायराइड कम करने का आसान और घरलू उपाय है मदरवोर्ट -
इस मदरवोर्ट जड़ी बूटी को लीयोनुरस कार्डियाका भी कहा जाता है। यह जड़ी बूटी एक प्राकृतिक बीटा-अवरोधक के रूप में कार्य करती है, उच्च हृदय गति और धड़कनों को नियंत्रित करने में मदद करती है। इसमें मौजूद थाइरोइड रोधी गतिविधि थायरॉयड स्थितियों से पीड़ित लोगों के लिए बेहद फायदेमंद होती है।
कैसे करें इस्तेमाल –
एक कप गर्म पानी मे इसे डाले और उबलने के लिए रख दे 5 मिनट उबलने ले बाद इसे ठंडा होने के लिए रख दे।अब इस चाय को पूरे दिन में तीन बार ज़रूर पियें। लेकिन अगर आप कोई और दवाई कहा रहे हैं, इसका सेवन हनिकारक हो सकता है।
4. ओमेगा-3 फैटी एसिड थायराइड खत्म करने का उपाय
अगर शरीर मे ओमेगा-3 फैटी एसिड नहीं मिल रहा है तो इसके कारण भी हार्मोन असन्तुलित हो सकते हैं।इस असन्तुलन में थायरॉयड हार्मोन भी शामिल हैं। ये हार्मोन जरूरी फैटी एसिड हार्मोन के लिए जरूरी ब्लीडिंग ब्लॉक है जो इसके प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है। आप भोजन में ओमेगा-3 फैटी एसिड की मात्रा को बढ़ाये इसके लिए मांसाहारी भोजन का सेवन करे जैसे- अधिक मछली, फ्लेक्ससीड्स और अखरोट आदि।
5.सबसे आसान और घरेलू उपाय ब्रोकली
ब्रोकली एक सब्ज़ी है जोकि आसानी से उपलब्ध हो सकती है। ब्रोकली में आइसोथियोसाइनेट्स और गोईट्रोजन्स पदार्थ अधिक मात्रा में होते हैं। जो थायरॉयड को ज्यादा बढ़ने से रोकते हैं। इसलिए थायराइड से पीड़ित किसी भी इंसान को ब्रोकली ज्यादा मात्रा में खानी चाहिए वो भी बिना पके हुए। ये हैं कुछ अन्य क्रूसीफेरस सब्ज़ियां जोकि थायरॉयड को कम करने के लिए ब्रोकली की तरह कार्य करती हैं। जैसे फूलगोभी, शलजम, सरसों का साग और मूली आदि सहायक होती हैं।
6. इस तरह उपयोगी हैं एंटीऑक्सीडेंट
एंटीऑक्सिडेंट युक्त भोजन हाइपरथायरायडिज्म को सामान्य करने में सहायता करते हैं। हाइपरथायरायडिज्म के कारण थायरॉयड हार्मोन का स्तर बढ़ता है, जिसके कारण शरीर में फ्री रेडिकल डैमेज बढ़ने लगता है। एंटीऑक्सिडेंट युक्त भोजन ऑक्सीडेंट को सामान्य रखता है। थायरॉयड जैसी बीमारी से बचने और पोषक तत्वों को प्राप्त करने के लिए अपने आहार में ताजे फल और सब्जियां शामिल करना जरूरी है। ये कुछ सामान्य फल हैं जो आप आराम से अपने खाने में शामिल कर सकते हैं जैसे जामुन, अंगूर, टमाटर और बेल मिर्च आदि। आप मल्टीविटामिन भी ले सकते हैं।
सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण आहार में अधिक प्रोटीन लेना न भूलें। शरीर में थायराइड का अधिक होना मांशपेशियों को तोड़ने का कारण बन जाता है। इसलिए प्रोटीन विशेष रूप से मांसपेशियों और ताकत को बढ़ाता है। आप प्रोटीन पाने के लिए दो चम्मच मट्ठे के साथ प्रोटीन पाउडर अपने आहार में लें। इसके अलावा, अपने आहार में बीन्स, नट्स, अखरोट बटर, बीजों और दही जैसा भोजन शामिल करें। आप पतला मांस, ठंडे पानी की मछली और अंडे भी खा सकते हैं लेकिन लाल मांस खाने से बचें।
7. समुंद्री सब्जियां हाइपरथायरायडिज्म के उपचार में उपयोग कर सकते हैं वो हैं केल्प, कोम्बु, हिजीकी, नोरि, आदि। ये आमतौर पर आपको दुकानों में सूखे पदार्थ के रूप में उपलब्ध हो जाएंगी। आप इन सब्ज़ियों को पीसकर या काट के सॉस, पिज़्ज़ा, चावल और सलाद आदि में इस्तेमाल कर सकते हैं।
8. थायराइड को करें कंट्रोल पत्ता गोभी
पत्ता गोभी में गोइट्रोजंस की मात्रा बहुत अधिक होती है जो थायराइड हार्मोन के उत्पादन को कम करने में मदद करता है। अच्छे परिणाम के लिए भुना हुआ पत्ता गोभी खाएं।
9. थायराइड से बचाये आँवला
आंवला हाइपरथायरायडिज्म के साथ ही शरीर के अनेक रोगों को सही तरीके से सामान्य रखता है। आँवला थायराइड को कम करने में खास भूमिका निभाता हैं। सुबह नाश्ते में आँवले का मोटा पेस्ट बनाकर शहद के साथ लेने से आपको आराम मिलता है।
डिस्क्लेमर: इस लेख के सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन सुझावों और जानकारी को किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर न लें। किसी भी बीमारी के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।