बीमारियों से बचना है तो ट्राई करें ये 6 होममेड इम्युनिटी बूस्टर ड्रिंक्स

  • Healthy Nuskhe
  • Dec 28, 2020

बीमारियों से बचना है तो ट्राई करें ये 6 होममेड इम्युनिटी बूस्टर ड्रिंक्स

सालों से फैंसी सुपरफूड्स और एनर्जी ड्रिंक्स द्वारा लुभाए जाने के बाद, आखिरकार 2020 में हम वापस से जड़ी-बूटियों और दादी के नुस्खों पर लौट आए हैं। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए लोग प्राकृतिक जड़ी-बूटियों से बने काढ़े और दादी-नानी के नुस्खों का इस्तेमाल कर रहे हैं।  न्यूट्रिशनिस्ट लवनीत बत्रा ने अपनी किताब ' 50 देसी सुपर ड्रिंक्स' के माध्यम से याद दिलाया है कि क्यों दादी-नानी के नुस्खों का इस्तेमाल सदियों से होता चला आ रहा है। इन देसी नुस्खों का इस्तेमाल आईबीएस, माइग्रेन, थकान और कमजोरी जैसी समस्याओं में राहत दिलाता है। बत्रा ने अपनी किताब में इम्युनिटी बूस्टर और एंटी-एजिंग ड्रिंक्स के बारे में बताया है। ये ड्रिंक्स हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाती हैं जिससे संक्रमण व अन्य बीमारियों से लड़ने में मदद मिलती है। आज के इस लेख में हम आपको इन 6 इम्युनिटी बूस्टर ड्रिंक्स की रेसिपी और उनके लाभ के बारे में बताने जा रहे हैं -


कहवा

कश्मीरी कहवा बनाने के लिए एक कटोरी में 1 टेबलस्पून गर्म पानी के साथ केसर के कुछ धागे भिगोएँ और अच्छी तरह मिला लें।

अब एक बर्तन में 3 कप उबाल लें। अब इसमें दालचीनी और इलायची डालें और धीमी आंच पर लगभग 3-4 मिनट तक पकाएं।

अब इसमें कश्मीरी ग्रीन टी की पत्तियां डालें और 2-3 मिनट तक उबालें। इसके बाद चाय को छान लें और केसर-पानी के मिश्रण में कटे हुए 1/4 कप बादाम मिलाएं। सब चीज़ों को अच्छी तरह मिलाएं और धीमी आंच पर एक मिनट तक पकाएं।


लाभ

दालचीनी के साथ कश्मीरी हरी चाय की पत्तियों का मिश्रण से हमारे शरीर के मेटाबॉलिज़्म को बढ़ावा देने में मदद करता है। यह भूख पैदा करने वाले हॉर्मोन को स्थिर करता है, जिससे जंक फूड खाने की इच्छा भी कम होती है। वहीं, केसर और इलायची से पाचन तंत्र मजबूत बनता है।    


कांजी

एक ग्लास जार में 1 बड़ा चम्मच दर्दरा पिसा सरसों के बीज, 4-5 कटी हुई गाजर, 1 कटा हुआ चुकंदर और 6-7 कप फ़िल्टर्ड पानी (या जितना सब्जियों को ढंकने के लिए पर्याप्त हो) डालें। सभी सामग्री को आपस में मिलाएं और इसे ढक्कन या चीज़क्लोथ के साथ कवर करें। इस जार को कम से कम एक हफ्ते के लिए एक धूप में रहने दें। जार में रखी सामग्री को रोज़ाना लकड़ी के चम्मच से हिलाते रहें। जब कांजी में एक खट्टा स्वाद विकसित हो जाए तो इसका मतलब है कि यह पीने के लिए तैयार है। कांजी को पीने से पहले इसे ठंडा होने के लिए फ्रिज में रखें।


लाभ

प्रोबायोटिक्स हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने में मदद करते हैं और नेचुरल एंटीबॉडी के उत्पादन को बढ़ावा देते हैं। कांजी एक प्राकृतिक शाकाहारी प्रोबायोटिक शीतकालीन पेय है जो सांस के संक्रमण को दूर कर सकता है।


कुट्टू की चाय

एक मध्यम फ्राइंग पैन में कुट्टू का घोल भून लें। भूनने के बाद, कुट्टू के घोल को गर्म पानी में डालें । 6 मिनट के बाद, चाय तैयार है।


लाभ

यह एक प्रीबायोटिक पेय है जो क्षारीयता को बढ़ाने में मदद करता है और अच्छे जीवाणुओं की वृद्धि को बनाए रखता है। कुट्टू में मौजूद घुलनशील, कार्ब - डी-चीरो-इनोसिटोल, विशेष रूप से पीसीओडी से पीड़ित महिलाओं के लिए बेहतर इंसुलिन में मदद करता है।



रागी अंबालि

3-4 टीस्पून रागी के आटे को थोड़े से पानी के साथ मिलाकर पेस्ट बना लें। अब एक कप पानी उबालें और इसमें एक चुटकी नमक मिलाएं। इसके बाद रागी का पेस्ट पानी में डालकर 2-3 मिनट तक पकाएं। मिश्रण को ठंडा होने के बाद इसमें दही मिलाएं।


लाभ

व्हेय प्रोटीन और क्वेरसेटिन (Quercetin ) का यह मिश्रण ताकत को बढ़ावा देता है, सूजन से लड़ता है और एंटी-एजिंग के रूप में कार्य करता है। Quercetin एंटीऑक्सिडेंट और एंटी-इंफ्लामेटरी प्रभाव को बढ़ाता है जो कैंसर कोशिकाओं को मार सकता है। यह ब्लड शुगर को नियंत्रित कर सकता है और हृदय रोग को रोकने में मदद कर सकता है।


मुलेठी और सौंफ का काढ़ा

मुलेठी और सौंफ का काढ़ा बनाने के लिए पानी में मुलेठी स्टिक और सौंफ के बीज डालकर 10-15 मिनट के लिए उबालें। अब इस पानी को छानकर गर्म-गर्म पिएँ।


लाभ

यह काढ़ा हमारी श्वसन प्रणाली का समर्थन करने में मदद करता है और गले में खराश और खांसी में तुरंत राहत प्रदान करता है। यह एक प्राकृतिक वासोडिलेटर है जो पूरे शरीर में बेहतर रक्त प्रवाह और ऑक्सीकरण में मदद करता है।



गोट रोज़ मिल्क  

2 टेबलस्पून सब्जा के बीज को पानी में 2-3 घंटे या तब तक भिगोएँ जब तक कि उनमें जेल न बन जाए। अब 1 कप ठंडे बकरी के दूध में सूखे गुलाब की पंखुड़ियाँ डालें और मिला लें। इस दूध को ठंडा होने के फ्रिज में रख दें। इस दूध को ठंडा करने के बाद इसका सेवन करें।    


लाभ

यह नुस्खा ओमेगा -3 फैटी एसिड से भरपूर है, जो मस्तिष्क के विकास और बच्चों में बढ़ती प्रतिरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बकरी का दूध टोडलर्स को पचाने में भी आसान होता है।

डिस्क्लेमर: इस लेख के सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन सुझावों और जानकारी को किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर न लें। किसी भी बीमारी के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।


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