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इन घरेलू उपायों से तुरंत मिलेगा पैरालिसिस से छुटकारा

By Healthy Nuskhe | Feb 10, 2020

आयुर्वेद के अनुसार पैरालिसिस यानि लकवा एक वायु रोग है, जिसके प्रभाव से संबंधित अंग की शारीरिक प्रतिक्रियाएं, बोलने और महसूस करने की क्षमता खत्म हो जाती हैं। आयुर्वेद में पैरालिसिस के 5 प्रकार बताए गए हैं और इसके लिए कोई विशेष कारण जिम्मेदार नहीं होता, बल्कि इसके कई कारण हो सकते हैं। तो आज की इस लेख में हम आपको बताएंगे इसके कारण और उपाय के बारे में। 

युवावस्था में नशीले पदार्थों का सेवन, आलस्य और अत्यधिक भोग विलास करने से स्नायविक तंत्र धीरे-धीरे कमजोर होता जाता है। जैसे-जैसे आयु बढ़ती है, इस रोग के होने की संभावना भी बढ़ती जाती है। सिर्फ आलसी जीवन जीने से ही नहीं, बल्कि इसके विपरीत अति भागदौड़, और परिश्रम कारणों से भी पैरालिसिस यानी लकवा होने की संभावना होती है। लेकिन ऐसे कुछ घरेलू उपय है जिसको करने से आप पैरालिसिस से बच सकते हैं या इसके प्रभाव को कम कर सकते हैं।

हर रोज सुबह-शाम बला मूल (जड़) का काढ़ा पीने से आपको बहुत आराम मिलेगा।

उड़द, कौंच के छिलकारहित बीज, एरण्डमूल और अति बला, सब 100-100 ग्राम ले कर मोटा-मोटा कूटकर एक डिब्बे में भरकर रख लें। और दो गिलास पानी में 6 चम्मच चूर्ण डालकर उबालें, जब पानी आधा हो जाए तब उतारकर छान लें और रोगी को पिला दें। इस काढ़े को  सुबह-शाम खाली पेट पिलाएं।

लहसुन की 4 कली सुबह और शाम निगलकर ऊपर से दूध पीना चाहिए इससे बहुत फायदा मिलता है। लहसुन की 8-10 कलियों को बारीक काटकर एक कप दूध में डालकर खीर की तरह उबालें और इसमें शकर डालकर उतार लें। और इस खीर को भोजन के साथ रोज खाए आपको खुद ही परिणाम दिख जाएगा।

तुम्बे के बीजों को पानी में पीसकर पैरालाईजड अंग पर लेप करने से बहुत फायदा होता है।

सौंठ और सेंधा नमक बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। इस चूर्ण को नकसीर की भांति दिन में 2-3 बार सूंघने से लाभ होता है।

पैरालाईजड रोगी के लिए गाय या बकरी का दूध व घी, पुराना चावल, गेहूं, तिल, परवल, सहिजन की फली, लहसुन, उड़द या मूंग की दाल, पका अनार, खजूर, मुनक्का, अंजीर, आम आदि का सेवन करना, तेल से मालिश करना और गर्म जल से स्नान करना व गर्म पानी बहुत फायदेमंद है।

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