Health Tips: बढ़ते प्रदूषण से गले में हो रही तेज जलन तो आजमाएं ये देसी नुस्खा, जल्द महसूस होगी राहत
- अनन्या मिश्रा
- Dec 10, 2025

जब दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का लेवल तेजी से बढ़ता है। तब सबसे पहला असर सांसों, गले और फेफड़ों पर महसूस होता है। हवा में मौजूद धूल, हानिकारक कण और धुआं गले में खराश, जलन, सूखापन और खांसी को बढ़ा देता है। ऐसे समय में आयुर्वेद याद दिलाता है कि हर समस्या का इलाज सिर्फ दवा से नहीं बल्कि कई बार प्राकृतिक चीजों से भी होता है। वहीं हमारे पूर्वजों ने जिन पत्तियों पर भरोसा करते हैं, उनमें पान का पत्ता सबसे अधिक खास है।
बता दें कि पान के पत्ते का इस्तेमाल सिर्फ पूजा-पाठ या खान में नहीं होता है, बल्कि यह ऊर्जा संतुलन और हीलिंग में भी काम आता है। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बताने जा रहे हैं कि पान के पत्ते का कैसे इस्तेमाल करना चाहिए।
पुरानी और भरोसेमंद दवा
आयुर्वेद के मुताबिक पान के पत्ते में उष्ण वीर्य यानी शरीर को गर्माहट देने वाली प्राकृतिक ऊर्जा मौजूद होती है। जब प्रदूषण, ठंड या मौसम में बदलाव की वजह से कफ बढ़ता है, तो यह कफ शरीर में गले में जलन, भारीपन, खांसी और बंद नाक जैसी समस्याएं होती हैं। इन सभी परेशानियों से आपको पान का पत्ता निजात दिला सकता है। इस नुस्खे को आजमाने से आपको सिरप या फिर दवा की जरूरत नहीं पड़ेगी।
गले में जलन का देसी इलाज
इस विधि से खराश, सूखापन, गले की जलन, खांसी और कफ में जल्दी आराम मिलता है।
ऐसे बनाएं पान के पत्ते का काढ़ा
सबसे पहले 1-2 पान के पत्ते पानी में डालें।
फिर तुलसी के 3-4 पत्ते और 3-4 काली मिर्च डालकर अच्छे से उबालें।
अब कुछ मिनट उबालकर छान लें।
इसके बाद गर्म-गर्म पानी पिएं।
सिर्फ 7-10 दिन तक इस पानी को पीने से आप महसूस करेंगी कि गले की जलन कम हो रही है, खांसी भी शांत हो रही है, गला हल्का, कफ पिघलकर निकलने लगता है और आरामदायक लग रहा। यह एक ऐसा उपाय है, जिसको हर उम्र का व्यक्ति अपना सकता है।
पान के पत्ते का अनोखा महत्व
पान का पत्ता हल्का गर्म करके लेने से सांस खुलती है।
पानी में उबालकर इसका काढ़ा बनाकर पीने से गले की खराश कम होती है।
शहद के साथ इसका सेवन करने से यह गले को शांत करता है।
वहीं स्टीम में डालकर लेने से कंजेशन फौरन कम हो जाता है।
डिस्क्लेमर: इस लेख के सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन सुझावों और जानकारी को किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर न लें। किसी भी बीमारी के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।