Health Tips: पुरुषों में बांझपन का बड़ा कारण वैरिकोसील, स्पर्म काउंट घटने से पहले ऐसे करें पहचान

  • अनन्या मिश्रा
  • Sep 24, 2025

Health Tips: पुरुषों में बांझपन का बड़ा कारण वैरिकोसील, स्पर्म काउंट घटने से पहले ऐसे करें पहचान

इन दिनों वैरिकोसील नामक समस्या काफी सामान्य है। यह क्या है और यह बीमारी क्यों होती है। साथ ही इस बीमारी की वजह से किन-किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है। बता दें कि आज के समय में 15 से 30 साल के युवाओं में यह बीमारी देखने को मिलती है। लेकिन अगर समय रहते इस बीमारी का इलाज न कराया जाए, तो इरेक्टाइल डिस्फंक्शन के साथ स्पर्म काउंट में कमी होने के साथ कई समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बताने जा रहे हैं कि वैरिकोसेले क्या है और यह कैसे पुरुषों की प्रजनन क्षमता को प्रभावित करता है।


जानिए क्या है वैरिकोसील

पुरुषों के शरीर में टेस्टिस सबसे ज्यादा अहम अंग होता है। यह मेल रिप्रोडक्टिव ऑर्गन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। टेस्टिस के अंदर जो वेन होती है, जो ब्लड का संचार करती हैं। अगर यह किसी वजह से फूल जाती हैं, तो इस वजह से खून का दौरा जाम हो जाता है। क्योंकि टेस्टिस के अंदर वाल्व्स खून के दौरे को वापिस नहीं जाने देते और उसको रोककर रखते हैं। यह खुल जाते हैं। इस कारण खून के दौरा यानी ग्रेविटी की वजह नीचे की तरफ जाने लगता है। इसको वैरिकोस वीन कहा जाता है। यह वैरिकोस जब टेस्टिस में होता है, तो उसको वैरिकोसील कहा जाता है।


कैसे होता है वैरिकोसील

एक्सपर्ट की मानें, तो पुरुषों में दो टेस्टिस होते हैं। पहला दाहिना टेस्टिस और दूसरा बायां टेस्टिस। यह एक तरह की थैली के अंदर होते हैं। मेडिकल भाषा में इसको स्क्रोटम कहा जाता है। आम बोलचाल की भाषा में इसको अंडकोष कहा जाता है। टेस्टिस स्पर्मेटिक कॉर्ड के जरिए स्क्रॉटम के भीतर लटकता है। वहीं स्पर्मेटिक कॉर्ड 3-4 तत्वों से बनी होती है। जिसके अंदर टेस्टुकुलर आर्टरी होती है, जोकि खून को अंदर लेकर जाती है।


वेस डिफ्रेंस होता है, जोकि स्पर्म को प्रोस्टेट तक लेकर जाता है। इसमें एक टेस्टुकुलर वेन्स भी होती है, जोकि एक गुच्छे में की जाती है। इसको पेनपेमिफम प्लेक्सस कहा जाता है। पेनपेमिफम प्लेक्सस के अंदर वैरिकोस वेन होता है, जब वेन्स खुल जाती है, तो वॉल्व कमजोर हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में यह खून के दौरे को नहीं रोक पाते हैं। इस समस्या को वैरिकोसील कहा जाता है।


वैरिकोसील कैसे प्रभावित करता है

एक्सपर्ट बताते हैं कि पुरुषों के शरीर को वैरिकोसील कई तरह से नुकसान पहुंचा सकता है। हालांकि इसके लिए यह जरूरी है कि हमको सबसे पहले यह समझना होगा कि हमारे टेस्टिस के फंक्शन्स क्या है।


टेस्टिस के काम

टेस्टिस का पहला काम पुरुषों के शरीर में टेस्टेस्टेरोन बनाना है। यह मेल हार्मोन है, जिसका निर्माण टेस्टिस खुद करते हैं।


वहीं इसका दूसरा काम स्पर्म का उत्पादन करना है।


वैरिकोसील होने पर होने वाली समस्याएं

जब भी किसी पुरुष को वैरिकोसील की समस्या होती है, उनके टेस्टिकल्स सही तरीके से काम नहीं कर पाते हैं। यदि इस बीमारी का इलाज नहीं कराया जाता है, तो टेस्टिकल्स सिकुड़ जाता है। जिसको टेस्टिकल्स को छोटा होना भी कहा जाता है।


कम होता है स्पर्म प्रोडक्शन

जब टेस्टिस सही तरीके से काम नहीं कर पाता है, इसका स्पर्म प्रोडक्शन पर असर पड़ता है। स्पर्म की उत्पादकता कम हो जाती है और इस वजह से टेस्टेस्टेरॉन हार्मोन का प्रोडक्शन भी कम होता है। यह इंफर्टिलिटी और प्रजनन का सबसे बड़ा कारण बनता है। स्पर्म कम होने से इंफर्टिलिटी की समस्या होती है। वहीं टेस्टेस्टेरॉन कम होने की वजह से शरीर में कई तरह के बदलाव आते हैं।


बदलाव

पुरुषों में तनाव

पुरुषों का चिड़चिड़ा होना

सेक्सुअल एक्टिविटी करने की इच्छा में भारी कमी

टेस्टोस्टेरॉन के कारण शरीर में कई अन्य बदलाव भी आते हैं


क्यों होती है वैरिकोसील की समस्या 

वर्तमान समय में मेडिकल से जुड़े लोगों द्वारा इस बीमारी के कारणों पर शोध किया जा रहा है और यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि आखिरकार यह बीमारी क्यों होती है। हालांकि अब तक इस बीमारी के होने के सही कारणों का पता नहीं चल पाया है। बता दें कि 15 से 30 साल के युवाओं, जिम में हेवी वेट लिफ्टिंग करने वाले पुरुषों में यह समस्या अधिक देखने को मिलती है।


ऐसे करें इस बीमारी की पहचान

डॉक्टर की मानें, तो कई केस में इस बीमारी के होने पर किसी भी तरह का लक्षण नजर नहीं आता है। वहीं रूटीन इग्जामिनेशन में भी इस बीमारी का पता नहीं चलता है। वहीं केस में बच्चे के जन्म न होने की वजह से कपल डॉक्टरी सलाह लेने के लिए आते हैं, तब टेस्ट और अल्ट्रासाउंड कराने पर उनको इस बीमारी का पता चलता है। तो वहीं कुछ केस में मरीज के टेस्टिकल्स में दर्द होता है। अगर यह बीमारी एडवांस स्टेज में पहुंच जाए, तो स्क्रॉटम और टेस्टिकल्स में मौजूद वेन्स सूज जाती हैं। हाथ पर इसको छूने से गांठ जैसा महसूस होता है। वहीं अगर मरीज कोई भारी चीज उठाता है, तो उसको टेस्टिस में दर्द महसूस होता है। हालांकि अधिकतर केस में इस बीमारी के लक्षण सामान्य लक्षणों की तरह नहीं नजर आते हैं।

डिस्क्लेमर: इस लेख के सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन सुझावों और जानकारी को किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर न लें। किसी भी बीमारी के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।


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