Health Tips: 6 घंटे से कम नींद लेने पर शरीर देने लगता है ऐसे संकेत, जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट
- अनन्या मिश्रा
- Dec 20, 2025

अगर आप भी रोजाना देर रात तक काम खत्म करने, मोबाइल चलाने या फिर बस वक्त काटने के चक्कर में 6 घंटे से कम नींद लेते हैं। तो यह आदत धीरे-धीरे आपके शरीर के अंदर ऐसी हलचल पैदा करती है। जिसका लंबे समय तक असर महसूस होता है। हालांकि शुरूआत में चिड़चिड़ापन, थकान या भारीपन महसूस होता है। लेकिन असल नुकसान तो शरीर के भीतर शुरू हो चुका होता है। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बताने जा रहे हैं कि 6 घंटे से कम नींद लेने पर शरीर को क्या नुकसान पहुंचता है।
शरीर का रीसेट बटन
नींद सिर्फ आराम के लिए नहीं बल्कि यह वह समय होता है, जब शरीर खुद को रिपेयर करता है। हार्मोन संतुलित करता है और दिमाग से टॉक्सिन्स को साफ करता है। लेकिन जब आप 6 घंटे से कम नींद लेते हैं, तो इससे पूरा तंत्र बिगड़ने लगता है।
हार्मोनल सिस्टम का असंतुलन
सबसे पहले कम नींद एंडोक्राइन सिस्टम यानी हार्मोन तंत्र को प्रभावित करती है। तनाव हार्मोन कोर्टिसोल का लेवल लंबे समय तक बढ़ा रहता है। जिस कारण लगातार शरीर अलर्ट मोड में रहता है। इसके साथ ही चिड़चिड़ापन, चिंता, भूख और ब्लड प्रेशर पर असर डालता है। रोजाना 6 घंटे से कम नींद लेने पर शरीर में इंसुलिन का संतुलन बिगड़ने लगता है। जिससे टाइप 2 डायबिटीज का खतरा समय के साथ बढ़ जाता है।
दिल पर बढ़ता है बोझ
नींद की कमी का सबसे ज्यादा असर हमारे हार्ट पर पड़ता है। रिसर्च के मुताबिक नियमित रूप से कम नींद लेने वाले लोगों में अनियमित दिल की धड़कन, हाई ब्लड प्रेशर और हार्ट अटैक का खतरा अधिक होती है।
नींद की कमी रक्त वाहिकाओं में सूजन को बढ़ाती है। जिसकी वजह से दिल लगातार दबाव में रहता है। वहीं अगर किसी को पहले से दिल की बीमारी है, तो नींद की कमी सेहत को अधिक गंभीर बना सकती हैं।
कमजोर इम्युनिटी
वहीं गहरी नींद के दौरान शरीर साइटोकिन्स जैसे प्रोटीन बनाता है। जोकि सूजन और इंफेक्शन से लड़ने में सहायता करते हैं। लेकिन नींद की कमी होने पर इस प्रोटीन का प्रोडक्शन घट जाता है। जिस कारण बार-बार बीमार होना, चोट या फिर संक्रमण का देर से ठीक होना है। लंबे समय तक ऐसा रहने से शरीर में लगातार बनी रहने वाली सूजन बढ़ जाती है, जोकि गठिया, मोटापा और मेटाबॉलिक समस्याओं से जुड़ी है।
याददाश्त पर भी असर
अगर आप कम नींद लेते हैं, तो इसका असर दिमाग पर दिखाई देने लगता है। सिर्फ एक रात की कम नींद आपके ध्यान, फैसले लेने की क्षमता और प्रतिक्रिया समय को खराब कर देती है।
लंबे समय में दिमाग में जमा होने वाला कचरा भी नहीं साफ हो पाता है। इसमे बीटा एमिलॉइड भी शामिल है और वह प्रोटीन जिसको अल्जाइमर से भी जोड़ा जाता है। इसलिए लगातार कम नींद लेने से दिमाग की उम्र को तेजी से बढ़ा सकती है।
मूड और भूख पर काबू रखना मुश्किल
नींद की कमी हमारे भावनात्मक संतुलन को बिगाड़ देती है। मूड स्विंग, थोड़ी-थोड़ी सी बात पर चिड़चिड़ापन और तनाव संभालने में कठिनाई होना आम हो जाता है।
भूख से जुड़े हार्मोन भी गड़बड़ा जाते हैं, जिससे तला-भुना, मीठा और अधिक कैलोरी वाला खाना खाने का मन करता है। इस कारण से कम नींद वेट बढ़ने की एक बड़ी वजह बन सकती है।
ऐसे सुधारें सोने की आदत
सोने जाने से पहले मोबाइल और स्क्रीन का इस्तेमाल कम से कम करें।
रोजाना सोने और जागने का एक जैसा समय रखें।
ठंडा, शांत और कम रोशनी वाला कमरा नींद की गुणवत्ता को बढ़ाता है।
शाम के समय कैफीन का कम सेवन करें।
सोने से पहले हल्का-फुल्का रिलैक्सिंग रूटीन अपनाएं।
बता दें कि 6 घंटे से कम समय सोना शरीर के करीब हर अंग पर दबाव डालता है। आज के बिजी लाइफस्टाइल में लोग नींद को कम महत्व देते हैं, लेकिन अच्छी और गहरी नींद शरीर को एनर्जी, सेहत और उम्र के सही संतुलन को बनाए रखने में कारगर होता है।
जब नींद अच्छी आती है, तो पूरा शरीर आराम पाता है और शरीर बेहतर तरीके से काम करता है। यह जल्द ठीक होता है और लंबे समय तक हमारा शरीर स्वस्थ रहता है। इसलिए नींद के समय देना खुद के लिए किया गया सबसे आराम और जरूरी इंवेस्टमेंट है।
डिस्क्लेमर: इस लेख के सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन सुझावों और जानकारी को किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर न लें। किसी भी बीमारी के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।