Health Tips: कोलेजन की कमी होने पर उम्र से पहले आता है बुढ़ापा, जानिए इसके प्रकार और कैसे दूर करें कमी

  • अनन्या मिश्रा
  • Jul 03, 2025

Health Tips: कोलेजन की कमी होने पर उम्र से पहले आता है बुढ़ापा, जानिए इसके प्रकार और कैसे दूर करें कमी

आपने कुछ लोगों को देखा होगा कि वह 40 की उम्र में भी 20 साल के दिखते हैं। उनकी स्किन ग्लो करती है और कोई झुर्रियां नहीं हैं और पूरी तरह से फिट लगते हैं। वहीं दूसरी ओर कुछ लोग कम उम्र में ही उम्रदराज दिखने लगते हैं। इसका राज कोलेजन है। आमतौर पर उम्र बढ़ने के साथ बॉडी में कोलेजन का लेवल घटता है तो झुर्रियां बढ़ते लगती हैं, स्किन ढीली पड़ने लगती है। हालांकि झुर्रियां बुढ़ापे की निशानी नहीं है। लेकिन कोलेजन की कमी होने पर जवान लोग भी बूढ़े दिखने लगते हैं।


यही वजह है कि कोलेजन को युवाओं का प्रोटीन भी कहा जाता है। हमारे शरीर के कुल प्रोटीन का करीब 30% हिस्सा कोलेजन के काम आता है। यह एक बेहद जरूर प्रोटीन है और यह हमारी स्किन, हड्डियों, ब्लड वेसल्स और जोड़ों को भी मजबूत बनाने का काम करता है और इनकी स्ट्रक्चरिंग का भी काम करता है। वहीं शरीर में कोलेजन की कमी से कई गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।


कोलेजन क्या है

यह हमारे शरीर का एक जरुरी प्रोटीन है, जोकि हड्डियों, जोड़ों, स्किन, मांसपेशियों और ब्लड वेसल्स को मजबूत बनाता है। कोलेजन को आप शरीर का गोंद समझ सकते हैं जोकि सब कुछ जोड़कर रखता है। यह स्किन का लचीलापन देता है, जोड़ों को सहारा देता है और हड्डियों को मजबूती देता है।


कोलेजन के प्रकार

बता दें कि अभी तक कोलेजन के 28 प्रकारों की पहचान की जा चुकी है। इससे पता चलता है कि कोलेजन न सिर्फ स्किन को चमकदार बनाता है। बल्कि शरीर में कहीं पर कट लगने पर खून को गाढ़ा करके परत बनाने में सहायता करती है। अंगों के लिए सुरक्षात्मक परत बनाता है और डेड स्किन कोशिकाओं को बदलता है।


कोलेजन के मुख्य प्रकार

टाइप 1- स्किन, टेंडन्स, हड्डियों और लिगामेंट्स में होता है।


टाइप 2- जोड़ों के कार्टिलेज में होता है। जोकि जोड़ों को लचीला बनाता है।


टाइप 3- मांसपेशियों, ब्लड वेसल्स और इंटरनल ऑर्गन्स में होता है।


टाइप 4 - स्किन की कुछ परतों में मौजूद होता है।


टाइप 5- स्किन, बालों और आंख के कॉर्निया में मौजूद होता है।


क्यों होती है कोलेजन की कमी


उम्र बढ़ना

25-30 साल की उम्र के बाद शरीर में कोलेजन का प्रोडक्शन धीमा पड़ने लगता है। हर साल करीब 1-2% कोलेजन कम होने लगता है। वहीं महिलाओं में मेनोपॉज के बाद कोलेजन का लेवल तेजी से कम होने लगता है।


धूप का असर

सूरज की हानिकारक युवी किरणें स्किन में कोलेजन को तोड़ती हैं। इसलिए बिना सनस्क्रीन के धूप में अधिक समय बिताना नुकसानदायक हो सकता है।


अनहेल्दी डाइट

विटामिन सी और प्रोटीन की कमी और पोषक तत्वों की कमी कोलेजन बनाने की प्रक्रिया को प्रभावित करती हैं।


धूम्रपान और शराब

सिगरेट और शराब कोलेजन के उत्पादन को रोकने का काम करता है और स्किन को समय से पहले बूढ़ा बनाते हैं।


स्किन और नींद की कमी

अधिक तनाव और कम नींद हार्मोन असंतुलन पैदा करते हैं, जोकि कोलेजन को नुकसान पहुंचाते हैं।


प्रदूषण

हवा में मौजूद प्रदूषण भी स्किन में कोलेजन को तोड़ने वाले फ्री रेडिकल्स को बढ़ाता है।


सेहत संबंधी समस्याएं

रुमेटॉइड गठिया और एहलर्स-डैनलोस सिंड्रोम जैसी बीमारियां कोलेजन को प्रभावित कर सकते हैं।


कोलेजन की कमी से होने वाली समस्याएं

जोड़ों में दर्द, अकड़न और गठिया

स्किन में ढीलापन, झुर्रियां और रुखापन

बाल और नाखून कमजोर होकर टूटना

हड्डियों में कमजोरी और ऑस्टियोपोरोसिस

हार्ट अटैक पड़ना

पाचन तंत्र का कमजोर होना


कोलेजन के लिए आवश्यक पोषक तत्व

संतरा, आंवला, नींबू और शिमला मिर्च आदि, जोकि विटामिन सी का अच्छा स्त्रोत होता है।


अंडे, मछली, सभी दालें, चिकन और नट्स आदि में प्रोटीन अच्छी मात्रा में पाया जाता है।


मांस, सभी तरह की दालें, नट्स और मछली आदि में जिंक अच्छी मात्रा में पाया जाता है।


नट्स, शेलफिश, बीज और पत्तेदारी सब्जियां आदि का सेवन करना चाहिए। क्योंकि इसमें कॉपर पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है।

डिस्क्लेमर: इस लेख के सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन सुझावों और जानकारी को किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर न लें। किसी भी बीमारी के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।


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