क्या है प्लाज़्मा थेरेपी और क्या इससे कोरोना को हराया जा सकता है?
- Healthy Nuskhe
- Apr 17, 2020
चीन के वुहान से निकला कोरोनावायरस जो पूरी दुनिया के लिए एक काल बनकर आया जो अब तक 1.5 लाख से ज्यादा लोगों की जान ले चुका है। भारत में अब तक 13000 से ज्यादा लोग इससे इससे संक्रमित हो चुके हैं और 400 से ज्यादा जाने जा चुकी हैं। सरकार ने 3 मई तक लॉकडाउन को और बढ़ाने का एक निर्णायक फैसला लिया है। इस वायरस से बचने के लिए दुनिया भर के वैज्ञानिक, शोधकर्ता और डॉक्टर्स इसका इलाज ढूंढने में लगे हुए हैं। ऐसे में एक थेरेपी है जो काफी सुर्खियां बटोर रही है जिसका नाम है प्लाज्मा थेरेपी। दावा किया जा रहा है कि इस कोरोना संक्रमण के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी एक उम्मीद की किरण साबित हो सकती है। आज हम आपको इसी प्लाज्मा थेरेपी के बारे में बताएंगे कि यह क्या है, कैसे काम करती है, कितनी फायदेमंद है, और कैसे इसका प्रयोग कर कोरोना वायरस को हराया जा सकता है।
भारत ने प्लाज्मा थेरेपी को दी मंजूरी
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने कंवलसेंट प्लाज्मा थेरेपी(CPT) को कोरोना से संक्रमित रोगियों के उपचार के ट्रायल की अनुमति दे दी है। ICMR ने इस क्लिनिकल ट्रायल में शामिल होने के लिए विभिन्न चिकित्सक संस्थाओं को न्योता दिया है। इस अध्ययन का उद्देश्य यह पता करना होगा कि कंवलसेंट प्लाज्मा थेरेपी इस बीमारी के इलाज में कितनी असरदार है? ICMR ने इसे मंजूरी इसलिए दी क्योंकि इस महामारी में जिन देशों ने इसका प्रयोग किया है जैसे चीन, अमेरिका और दक्षिण कोरिया वहां से इसके सकारात्मक नतीजे आ रहे हैं।
क्या है कंवलसेंट प्लाज्मा थेरेपी ?
मानव रक्त में मुख्य चार मूल्य होते हैं - लाल रक्त कोशिकाएं(RBC), सफेद रक्त कोशिकाएं(WBC) प्लेटलेट्स और प्लाज्मा जब कभी भी हमें चोट लगती है और जब हमारे शरीर से रक्त बाहर आता है तो उस रक्त को रोकने के लिए प्लाज्मा खून के थक्के जमाने में मदद करता है और प्रतिरक्षा का समर्थन करता है।
दरअसल जब कोई वायरस व्यक्ति पर हमला करता है तो उसके शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली संक्रमण से लड़ने के लिए एंटीबॉडीज कहे जाने वाले प्रोटीन विकसित करता है। अगर कोई संक्रमित व्यक्ति पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन विकसित करता है तो वह वायरस से होने वाली बीमारियों से उबर सकता है।
एक बार जब कोई व्यक्ति इस वायरस से ठीक हो जाता है तो यह एंटीबॉडी उस व्यक्ति के खून में मौजूद रहती हैं और यदि दोबारा वही वायरस हमला करता है तो यह एंटीबॉडीज उससे लड़ने में कारगर साबित होती है।
इस प्लाज्मा थेरेपी में जो व्यक्ति कोरोना वायरस से ठीक हो चुका है, अगर उसके शरीर में इस वायरस से लड़ने के लिए पर्याप्त मात्रा में एंटीबॉडीज मौजूद है तो उस व्यक्ति के शरीर से यह प्लाज्मा निकाल कर उस व्यक्ति के शरीर में स्थानांतरित किया जाएगा जो कोरोना से संक्रमित है। जिससे यह एंटीबॉडी मौजूदा व्यक्ति के शरीर में मौजूद कोरोना से लड़ सके।
क्या यह एक नई थेरेपी है?
यह एक काफी पुरानी थेरेपी है, 1890 से पहले इसे पहली बार एक जर्मन फिजियोलॉजिस्ट एमिल वॉन बेह्रिंग ने खोजा था। इस खोज के लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
क्या इस थेरेपी का पहले इस्तेमाल हुआ है?
इस थेरेपी का पहले कई बार भी इस्तेमाल किया जा चुका है। 2003 SARS-CoV-1 महामारी, 2009-2010 H1N1 इन्फ्लूएंजा वायरस महामारी और 2012 MERS-CoV महामारी के दौरान प्लाज्मा थेरेपी का उपयोग किया गया है। इस थेरेपी का उपयोग इबोला वायरस के खिलाफ भी किया गया है।
कैसे काम करती है यह थेरेपी?
COVID-19 संक्रमण से उबरने वाले व्यक्ति से रक्त खींचा जाता है, सीरम को अलग किया जाता है और एंटीबॉडी के लिए परीक्षण किया जाता है जो वायरस को मार देगा। यदि प्लाज्मा एंटीबॉडी में समृद्ध है, तो इसे कोरोना से संक्रमित व्यक्ति के अंदर स्थानांतरित किया जाएगा। यह प्रक्रिया आरंभ करने से पहले जिस व्यक्ति के शरीर से प्लाज्मा लिया जाएगा उस व्यक्ति की पूरी जांच होगी कि कहीं उसे दोबारा कोरोना तो नहीं है या फिर किसी और बीमारी से संक्रमित तो नहीं है। उसके बाद ही उसके शरीर से यह प्लाज्मा लिया जाएगा।
एक व्यक्ति के प्लाज्मा से कितने रोगियों का इलाज किया जा सकता है?
एक व्यक्ति से खींचा गया प्लाज्मा 2 से 4 लोगों की मदद कर सकता है। वैज्ञानिकों के अनुसार एक मरीज को वायरस से लड़ने के लिए पर्याप्त एंटीबॉडी प्राप्त करने के लिए केवल एक अध्ययन की आवश्यकता होती है। व्यक्ति अपना प्लाज्मा कोरोना टेस्ट के 2 हफ्ते बाद ही दान कर सकता है।
प्लाज्मा थेरेपी कितनी प्रभावी है?
प्लाज्मा थेरेपी चीन में कई कोरोना वायरस रोगियों में फायदेमंद साबित हुई है। हालांकि इसे छोटे स्तर पर प्रयोग किया गया था। हाल ही में अमेरिका के 3 मरीज जो इस वायरस से गंभीर रूप से प्रभावित थे उनकी स्थिति में सुधार देखा गया जब उन पर इस प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल किया गया। दिल्ली के मैक्स हॉस्पिटल्स के डॉ. बुधिराज उस क्लिनिकल ट्रायल का हिस्सा थे जब उन्होंने अपने मरीज को प्लाज्मा थेरेपी दी तो उन्होंने बताया, “इससे पहले कि यह थेरेपी दी जाती, इस मरीज को पूर्ण वेंटीलेटर सहायता की आवश्यकता थी जो थेरेपी देने के बाद आधी रह गई और हमें उम्मीद है कि एक से दो दिनों में उसे मशीन से हटा दिया जाएगा।” केरल, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और दिल्ली सहित कई राज्यों को केंद्र से कोरोनवायरस के मरीजों के इलाज के लिए प्लाज्मा थेरेपी आयोजित करने की अनुमति मिल गई है। एक महत्वपूर्ण बात आपको बता दें कि यह थेरेपी कोरोना वायरस का पुख्ता या अंतिम इलाज नहीं है यह सिर्फ उससे लड़ने में मदद करती है।
भारत ने प्लाज्मा थेरेपी को दी मंजूरी
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने कंवलसेंट प्लाज्मा थेरेपी(CPT) को कोरोना से संक्रमित रोगियों के उपचार के ट्रायल की अनुमति दे दी है। ICMR ने इस क्लिनिकल ट्रायल में शामिल होने के लिए विभिन्न चिकित्सक संस्थाओं को न्योता दिया है। इस अध्ययन का उद्देश्य यह पता करना होगा कि कंवलसेंट प्लाज्मा थेरेपी इस बीमारी के इलाज में कितनी असरदार है? ICMR ने इसे मंजूरी इसलिए दी क्योंकि इस महामारी में जिन देशों ने इसका प्रयोग किया है जैसे चीन, अमेरिका और दक्षिण कोरिया वहां से इसके सकारात्मक नतीजे आ रहे हैं।
क्या है कंवलसेंट प्लाज्मा थेरेपी ?
मानव रक्त में मुख्य चार मूल्य होते हैं - लाल रक्त कोशिकाएं(RBC), सफेद रक्त कोशिकाएं(WBC) प्लेटलेट्स और प्लाज्मा जब कभी भी हमें चोट लगती है और जब हमारे शरीर से रक्त बाहर आता है तो उस रक्त को रोकने के लिए प्लाज्मा खून के थक्के जमाने में मदद करता है और प्रतिरक्षा का समर्थन करता है।
दरअसल जब कोई वायरस व्यक्ति पर हमला करता है तो उसके शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली संक्रमण से लड़ने के लिए एंटीबॉडीज कहे जाने वाले प्रोटीन विकसित करता है। अगर कोई संक्रमित व्यक्ति पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन विकसित करता है तो वह वायरस से होने वाली बीमारियों से उबर सकता है।
एक बार जब कोई व्यक्ति इस वायरस से ठीक हो जाता है तो यह एंटीबॉडी उस व्यक्ति के खून में मौजूद रहती हैं और यदि दोबारा वही वायरस हमला करता है तो यह एंटीबॉडीज उससे लड़ने में कारगर साबित होती है।
इस प्लाज्मा थेरेपी में जो व्यक्ति कोरोना वायरस से ठीक हो चुका है, अगर उसके शरीर में इस वायरस से लड़ने के लिए पर्याप्त मात्रा में एंटीबॉडीज मौजूद है तो उस व्यक्ति के शरीर से यह प्लाज्मा निकाल कर उस व्यक्ति के शरीर में स्थानांतरित किया जाएगा जो कोरोना से संक्रमित है। जिससे यह एंटीबॉडी मौजूदा व्यक्ति के शरीर में मौजूद कोरोना से लड़ सके।
क्या यह एक नई थेरेपी है?
यह एक काफी पुरानी थेरेपी है, 1890 से पहले इसे पहली बार एक जर्मन फिजियोलॉजिस्ट एमिल वॉन बेह्रिंग ने खोजा था। इस खोज के लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
क्या इस थेरेपी का पहले इस्तेमाल हुआ है?
इस थेरेपी का पहले कई बार भी इस्तेमाल किया जा चुका है। 2003 SARS-CoV-1 महामारी, 2009-2010 H1N1 इन्फ्लूएंजा वायरस महामारी और 2012 MERS-CoV महामारी के दौरान प्लाज्मा थेरेपी का उपयोग किया गया है। इस थेरेपी का उपयोग इबोला वायरस के खिलाफ भी किया गया है।
कैसे काम करती है यह थेरेपी?
COVID-19 संक्रमण से उबरने वाले व्यक्ति से रक्त खींचा जाता है, सीरम को अलग किया जाता है और एंटीबॉडी के लिए परीक्षण किया जाता है जो वायरस को मार देगा। यदि प्लाज्मा एंटीबॉडी में समृद्ध है, तो इसे कोरोना से संक्रमित व्यक्ति के अंदर स्थानांतरित किया जाएगा। यह प्रक्रिया आरंभ करने से पहले जिस व्यक्ति के शरीर से प्लाज्मा लिया जाएगा उस व्यक्ति की पूरी जांच होगी कि कहीं उसे दोबारा कोरोना तो नहीं है या फिर किसी और बीमारी से संक्रमित तो नहीं है। उसके बाद ही उसके शरीर से यह प्लाज्मा लिया जाएगा।
एक व्यक्ति के प्लाज्मा से कितने रोगियों का इलाज किया जा सकता है?
एक व्यक्ति से खींचा गया प्लाज्मा 2 से 4 लोगों की मदद कर सकता है। वैज्ञानिकों के अनुसार एक मरीज को वायरस से लड़ने के लिए पर्याप्त एंटीबॉडी प्राप्त करने के लिए केवल एक अध्ययन की आवश्यकता होती है। व्यक्ति अपना प्लाज्मा कोरोना टेस्ट के 2 हफ्ते बाद ही दान कर सकता है।
प्लाज्मा थेरेपी कितनी प्रभावी है?
प्लाज्मा थेरेपी चीन में कई कोरोना वायरस रोगियों में फायदेमंद साबित हुई है। हालांकि इसे छोटे स्तर पर प्रयोग किया गया था। हाल ही में अमेरिका के 3 मरीज जो इस वायरस से गंभीर रूप से प्रभावित थे उनकी स्थिति में सुधार देखा गया जब उन पर इस प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल किया गया। दिल्ली के मैक्स हॉस्पिटल्स के डॉ. बुधिराज उस क्लिनिकल ट्रायल का हिस्सा थे जब उन्होंने अपने मरीज को प्लाज्मा थेरेपी दी तो उन्होंने बताया, “इससे पहले कि यह थेरेपी दी जाती, इस मरीज को पूर्ण वेंटीलेटर सहायता की आवश्यकता थी जो थेरेपी देने के बाद आधी रह गई और हमें उम्मीद है कि एक से दो दिनों में उसे मशीन से हटा दिया जाएगा।” केरल, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और दिल्ली सहित कई राज्यों को केंद्र से कोरोनवायरस के मरीजों के इलाज के लिए प्लाज्मा थेरेपी आयोजित करने की अनुमति मिल गई है। एक महत्वपूर्ण बात आपको बता दें कि यह थेरेपी कोरोना वायरस का पुख्ता या अंतिम इलाज नहीं है यह सिर्फ उससे लड़ने में मदद करती है।
डिस्क्लेमर: इस लेख के सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन सुझावों और जानकारी को किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर न लें। किसी भी बीमारी के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।