अत्यधिक तनाव और चिंता बन सकती है डिप्रेशन का कारण, इस तरह करिए अपने दिमाग को चिंता ना करने के लिए ट्रेन

  • Healthy Nuskhe
  • Aug 17, 2020

 अत्यधिक तनाव और चिंता बन सकती है डिप्रेशन का कारण, इस तरह करिए अपने दिमाग को चिंता ना करने के लिए ट्रेन

आजकल की भाग-दौड़ भरी जीवनशैली में चिंता और तनाव के कई कारण हैं। पढ़ाई में अच्छे मार्क्स लाना, अच्छी नौकरी पाना, बड़ा घर हो, अच्छा लाइफ पार्टनर मिले, जीवन में सब कुछ ठीक चलता रहे।।।। ऐसी अनेक चिंताएँ हमारे मन को घेरे रहती हैं। लेकिन कभी-कभी यह सारी चिंताएं हमारे ऊपर हावी होने लगती हैं जिसके कारण हम डिप्रेशन और एंग्जायटी जैसी बीमारियों का शिकार हो जाते हैं। जरूरत से ज़्यादा तनाव या चिंता का हमारी सेहत पर बुरा असर होता है और इससे हमें हार्ट या बीपी की समस्या भी हो सकती है। ऐसी सभी बीमारियों या समस्याओं से बचने के लिए हमें खुद को मानसिक रूप से मजबूत बनाने की आवश्यकता होती है। अगर आपको भी हर वक्त चिंता या घबराहट होती रहती है तो आपको मेंटली स्ट्रॉन्ग बनना होगा। आज के इस लेख में हम आपको बताने जा रहे हैं कि आप अपने माइंड को हर वक्त चिंता करने से रोकने के लिए कैसे ट्रेन कर सकते हैं।  


मेडिटेशन करें 

मेडिटेशन यानि ध्यान हमारे मानसिक स्वास्थ्य और संतुलन के लिए बहुत लाभदायक होता है। मेडिटेशन करने से दिमाग शांत रहता है और इससे आप अपनी चिंता से मुक्ति पा सकते हैं। अधिकतर लोगों का कहना होता है कि उनके पास मेडिटेशन करने का समय नहीं मिल पाता है लेकिन अगर आप कुछ मिनट भी अपनी आँखें बंद करके बैठें तो वो भी मेडिटेशन ही है। 


जिन चीज़ों पर आपका कंट्रोल में नहीं है उनके बारे में ना सोचें 

हमारी अधिकतर चिंताओं का कारण यह होता है कि हम अपना ध्यान उन बातों पर लगाते हैं जिन पर हमारा कोई कंट्रोल ही नहीं है। बेहतर होगा कि जो चीज़ें आपके बस में नहीं हैं उनके बारे में सोचना छोड़ दें। उदहारण के लिए मान लें कि आपके घर में कोई फंक्शन है और आपको इस बात कि चिंता है कि उस दिन बारिश होगी या नहीं? अब इस स्थिति में बारिश होगी या नहीं यह तो आप कंट्रोल नहीं कर सकते हैं लेकिन अगर बारिश हो जाए तो मेहमानों के लिए क्या व्यवस्थता करेंगे उसके लिए एक दूसरा प्लान पहले से ही तैयार रख सकते हैं। 



पास्ट और फ्यूचर की चिंता छोड़ दें 

कई बार हम अपने पास्ट या फ्यूचर के बारे में सोच-सोच कर परेशान होते रहते हैं। शायद आपको पता ना चले लेकिन ऐसा करने से आप अपना आज भी ख़राब कर रहे हैं। बीते हुए या आने वाले कल की बजाय आप अपने आज को बेहतर बनाने की कोशिश करें।


दूसरे क्या सोचते हैं यह सोचना छोड़ दें 

कई बार हम यह सोच-सोच के परेशान होते रहते हैं कि दूसरे हमारे बारे में क्या सोचते हैं। लोग आपको पसंद करते हैं या नहीं, आप अच्छे दिख रहे हैं या नहीं, कोई आपके बारे में क्या सोच रहा है।। ऐसे कई सवाल हमारे दिमाग में आते हैं जिनके बारे में सोच कर हम व्यर्थ ही चिंता करते रहते हैं। आपको समझना होगा कि दूसरे क्या सोचते हैं यह आप कभी कंट्रोल नहीं कर सकते हैं। इसलिए इस बात की चिंता छोड़ दें और खुद को एक बेहतर इंसान बनाने की कोशिश करें। 


आप जो भी फील करते हैं उसे डायरी में लिखें  

अगर आपको चिंता करने के आदत है तो डायरी लिखें या आपको जिन बातों को लेकर चिंता हो रही है उनके किसी डायरी या पन्ने पर लिख दें। इससे आपका दिमाग शांत होगा और आप अच्छा महसूस करेंगे। 


पॉजिटिव सोचें  

हम किन बातों पर ध्यान देते हैं और कैसे सोचते हैं इसका हमारे दिमाग पर बहुत असर होता है। जिस तरह हर सिक्के के दो पहलू होते हैं, इसी तरह आपको चुनना होगा कि आपको पॉजिटिव बातों पर ध्यान देना है या नेगेटिव। पॉजिटिव यानि सकारत्मक सोचने से आप अपने दिमाग को शांत रख सकते हैं। एक रिसर्च में पाया गया कि जिन बच्चों को एग्जाम से पहले डर लगता है उनमें से जिन बच्चों ने अपने डर और चिंताओं के बारे में लिखा उन्हें बाकी बच्चों ज़्यादा अच्छे मार्क्स मिले। 


सोशल मीडिया से थोड़ी दूरी बनाएं

एक रिसर्च के मुताबिक सोशल मीडिया पर खुद की तुलना दूसरों से करने के कारण हमारे दिमाग में नेगेटिव सोच और चिंता पैदा होती है। कई बार हम सोशल मीडिया पर दूसरों की नई नौकरी, घर, शादी, या किसी अन्य सफलता के बारे में देखते हैं और हमे लगता है कि हम लाइफ  में बहुत पीछे रह गए हैं। हम खुद की तुलना दूसरों से करते हैं जिसके कारण हम खुद के बारे में नेगेटिव सोचने लगते हैं। अगर आपके साथ भी ऐसा होता है तो सोशल मीडिया से दूरी बनाना बहुत जरूरी है। अक्सर हमें नहीं पता होता है कि हम सोशल मीडिया पर जो भी देखते या पढ़ते हैं वह पूरी तरह सच है भी या नहीं? सोशल मीडिया पर सबकी लाइफ परफेक्ट दिखती है लेकिन असल ज़िंदगी में ऐसा नहीं होता है।

डिस्क्लेमर: इस लेख के सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन सुझावों और जानकारी को किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर न लें। किसी भी बीमारी के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।


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