अगर आपका बच्चा खाता है मिट्टी तो इन आसान तरीकों से छुड़वाएं आदत

  • मिताली जैन
  • Nov 21, 2019

अगर आपका बच्चा खाता है मिट्टी तो इन आसान तरीकों से छुड़वाएं आदत

कुछ बच्चों को मिट्टी खाना, दीवार का प्लास्टर खाना, माचिस की तीली या चॉक खाना बेहद पसंद होता है। अमूमन माता−पिता इसके लिए बच्चे को डांटते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह वास्तव में एक बीमारी है, जिसे पाइका कहा जाता है और इसका सही तरह से इलाज करना बेहद जरूरी है। वैसे तो यह समस्या महिलाओं व किशोरों में भी देखी जाती है, लेकिन बच्चे इससे अधिक प्रभावित होते हैं। पाइका होने पर बच्चों को अन्य कई स्वास्थ्य समस्याएं जैसे कुपोषण, शरीर में पोषक तत्वों की कमी, कमजोरी, भूख न लगना, पेट में दर्द या कीड़े, आंतों की समस्या या किडनी में भी पथरी हो सकती है। तो चलिए आज हम आपको कुछ ऐसे आसान घरेलू उपाय बता रहे हैं, जिनकी मदद से आप बच्चों की इस आदत पर लगाम लगा सकते हैं−


आयरन युक्त आहार

पाइका का एक मुख्य कारण आयरन की कमी है। इसलिए बच्चों की डाइट में आयरन युक्त चीजें जैसे खजूर, हरी पत्तेदार सब्जियां, चुकंदर आदि को जरूर शामिल करें। इसके अलावा गुड़ में भी आयरन की मात्रा काफी अधिक पाई जाती है, आप इसे स्वीटनर की तरह बच्चों की डाइट में शामिल करें। इसके अलावा बच्चों का खाना लोहे की कड़ाही में पकाएं। इससे भी उनके आहार में आयरन की मात्रा बढ़ जाती है।

 

लौंग आएगी काम

लौंग भी बच्चों में मिट्टी खाने की आदत को छुड़ाने का एक आसान उपाय है। इसके लिए लौंग की कुछ कलियों को पीसकर पानी में उबाल लें। जब यह पानी ठंडा हो जाए तो एक−एक चम्मच यह पानी बच्चे को पीने को दें।

 

केले का इस्तेमाल

केले में कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं। बच्चों के लिए इसे सुपरफूड माना गया है। आप बच्चों को केला खाने को दें। आप इसे मसलकर इसमें शहद मिक्स करें। नियमित रूप से बच्चे को यह देने से वह जल्द ही मिट्टी खाना छोड़ देते हैं।


अपनाएं यह भी

जब आपको बच्चे में मिट्टी खाने की आदत नजर आए तो शुरूआती चरण में ही आप कुछ तरीकों को अपनाकर उनके इस व्यवहार को ठीक कर सकते हैं। जैसे आप उन्हें पौष्टिक युक्त आहार दें ताकि उनके शरीर में पोषक तत्वों की कमी को आसानी से दूर किया जा सके।

 

वहीं, बच्चे की नियमित जांच करवाएं और किसी चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट से भी बच्चे को मिलवाएं। आयरन की कमी के साथ−साथ यह विकार बच्चों में मेंटल इलनेस भी माना जाता है। इसलिए चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट से मिलने के बाद उनके व्यवहार में काफी परिवर्तन आता है।

 

मिताली जैन

 

डिस्क्लेमर: इस लेख के सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन सुझावों और जानकारी को किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर न लें। किसी भी बीमारी के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।


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