स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविड-19 के साथ डेंगू, मलेरिया जैसी मौसमी बीमारियों के प्रबंधन के लिए जारी की गाइडलाइन्स
- Healthy Nuskhe
- Oct 15, 2020
साल की शुरुआत में चीन के वुहान से शुरू हुई कोरोना महामारी से पूरा विश्व अभी तक जूझ रहा है। दुनिया के कई हिस्सों में कोरोना वैक्सीन पर काम चल रहा है लेकिन अभी तक वैक्सीन बन नहीं पाई है। उम्मीद जताई जा रही है कि इस साल के अंत तक कोरोना वैक्सीन को बाजार में उपलब्ध करवा दिया जाएगा। जहाँ एक ओर कोरोना संक्रमण का खतरा है, वहीं दूसरी ओर मौसम में बदलाव के कारण डेंगू, मलेरिआ, मौसमी फ़्लू (एच1एन1) और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों का खतरा भी बढ़ गया है। कोरोना के साथ इन बीमारियों के उपचार का प्रोटोकॉल (ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल) नहीं होने से डॉक्टर्स भी चिंतित थे। हाल ही में, मंगलवार को केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने कोरोना के साथ इन बीमारियों के सह-संक्रमण के खतरे को देखते हुए उपचार और सावधानियों के दिशानिर्देश जारी किए हैं।
इसे भी पढ़ें: Serum Institute of India ने ऑक्सफोर्ड के साथ मिलकर बना ली है कोरोना वैक्सीन, 2020 के आखिर तक होगी भारत में उपलब्ध
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक मानसून के दौरान और मानसून के बाद ऐसी जगहों पर जहाँ बीमारियों का खतरा ज़्यादा हो, वहाँ उच्च सतर्कता रखी जानी चाहिए। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि आईसीएमआर और मंत्रालय द्वारा जारी कोरोना वायरस के टेस्टिंग प्रोटोकॉल का पालन किया जाना चाहिए। दिशानिर्देश में कोरोना के इलाज की तमाम सुविधाओं की तरह मलेरिया, डेंगू और स्क्रब टाइफस के लिए, रैपिड डायग्नोस्टिक किट्स की उपलब्धता भी सुनिश्चित करने को कहा गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी किए गए दिशानिर्देश इस प्रकार हैं -
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक मलेरिया और डेंगू जैसे अन्य संक्रमण साथ हो सकते हैं इसलिए ऐसा नहीं माना जा सकता है कि डेंगू/मलेरिया रहने पर मरीज कोरोना से पीड़ित होने की संभावना नहीं है।
जिन जगहों पर कोरोना के मामले मौजूद हों, वहाँ अगर मौसमी इनफ्लुएंजा, ईली, सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी इलनेस (SARI) के मामले दिखें, तो कोरोना के साथ-साथ मौसमी इनफ्लुएंजा की भी जांच कराई जानी चाहिए।
स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी की गई गाइडलाइन में डॉक्टर्स को सलाह दी गई है कि कोविड के जिन हल्के या गंभीर मामलों में इलाज का असर नहीं दिख रहा है उनमें अन्य बैक्टीरियल संक्रमण पर भी नजर रखें।
सभी मध्य और निचले स्तर के अस्पतालों को डेंगू और कोविड के गंभीर मामलों के लिए तैयार रहने को कहा गया है। हल्के से लेकर मध्यम लक्षणों वाले डेंगू, कोविड और अन्य संक्रमित मरीजों की गहन निगरानी का निर्देश दिया गया है।
स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी दिशानिर्देश में कोरोना के साथ डेंगू, मलेरिया, इन्फ्लूएंजा जैसे सह-संक्रमण से बचाव के उपाय भी सुझाव भी दिए गए हैं। मंत्रालय की ओर से जारी किए गए सुझावों में एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम द्वारा मॉनिटरिंग भी शामिल हैं। इसके अलावा बचाव के अन्य उपाय इस प्रकार हैं :
समारोहों में शामिल होने से बचना
सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना और मास्क का इस्तेमाल करना
साफ-सफाई का ध्यान रखना
स्वास्थ्य सुविधाओं वाली जगह या आसपास मच्छर पैदा होने या पलने की संभावना खत्म करना
हेल्थकेयर वर्कर्स और दूसरे जोखिम समूहों को मौसमी इन्फ्लूएंजा के लिए टीके लगाया जाना
डिस्क्लेमर: इस लेख के सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन सुझावों और जानकारी को किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर न लें। किसी भी बीमारी के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।