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Health Tips: सोडियम-पोटेशियम की अधिक मात्रा आपको जल्द बना सकती है बूढ़ा, हेल्दी रखें अपनी डाइट

By Healthy Nuskhe | Apr 18, 2024

हर भारतीय खाने-पीने का बहुत शौकीन होता है। भारतीयों में स्वाद के प्रति ऐसी दीवानगी होती है कि कई बार यह उनकी सेहत पर बुरा असर डालती है। अधिक मसालेदार व तला-भुना खाना खाने में तो बहुत अच्छा लगता है। लेकिन इस तरह के खानपान की वजह से हमारे शरीर में सोडियम व पोटेशियम का बैलेंस बिगड़ जाता है। जिससे हमारा स्वास्थ्य खराब होने लगता है। आमतौर पर लोग दाल-मखनी, पराठे, बटर नान या फिर कटहल आदि खाते हैं। अगर यह या फिर इनसे मिलती-जुलती चीजें आपकी डाइट का हिस्सा है, तो आपको दूसरों की तुलना में अधिक ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है। साथ ही ऐसा खाना खाने से मोटापा बढ़ने के भी आसार होते हैं।

एक हेल्थ स्टडी के मुताबिक अधिक तलेभुने या मसालेदार खाने में ढेर सारा नमक और फॉस्फोरस होता है। जो किसी का भी हाइपरटेंशन बढ़ा सकता है। साथ ही इनमें प्रोटीन और पोटेशियम की भी कमी होती है। इसलिए अगर आपको भी इस तरह का खाना पसंद है, तो आपको अपनी सेहत के प्रति सतर्क होने की जरूरत है। बता दें कि आमतौर पर नॉर्थ इंडिया के खाने में सोडियम और फॉस्फोरस की मात्रा जरूरत से अधिक पाई जाती है। जबकि इस तरह के खाने में प्रोटीन और पोटेशियम कम पाया जाता है। इस तरह की डाइट को असंतुलित आहार कहा जाता है। 

यदि आप इस तरह का खाना खाते हैं, तो शरीर को सेहतमंद बने रहने में समस्या आती है और आपको कई तरह की गंभीर बीमारियां घेर सकती हैं। वहीं WHO भी सोडियम, पोटेशियम, फॉस्फोरस और प्रोटीन खाने के लिए स्वस्थ मात्रा में सेवन करने की सलाह देता है। क्योंकि इससे बहुत कम या फिर बहुत ज्यादा मात्रा हमारी सेहत को मुश्किल में डाल सकता है।

कैसी होनी चाहिए डाइट
बता दें कि एक वयस्क रोजाना 2 ग्राम सोडियम का सेवन करने की सलाह दी जाती है। जबकि करीब 65 फीसदी से अधिक नॉर्थ इंडियन लोग रोजाना 8 ग्राम से अधिक सोडियम का सेवन कर रहे हैं।

WHO के अनुसार, एक वयस्क को रोजाना 700 माइक्रोग्राम फॉस्फोरस का सेवन करना चाहिए।

वहीं एक वयस्क को रोजाना कम से कम 3.5 ग्राम पोटेशियम का सेवन करना चाहिए।

WHO के मुताबिक हर व्यक्ति को अपने वजन के हिसाब से प्रति किलोग्राम के लिए 0.8 ग्राम से 1 ग्राम तक प्रोटीन खाना चाहिए।

शरीर में पोटेशियम की कमी के लक्षण
यदि आपके शरीर में पोटेशियम की कमी होने पर पेशान में अजीब सी झनझनाहट होने लगती है। इसकी कमी से कब्ज, थकान और मसल्स में दर्द की समस्या शुरू हो जाएगी। शरीर में इसका लेवल अधिक घटने से हार्ट रेट में असामान्य बदलाव देखने को मिल सकता है। इसको 'एरिथमिया' कहा जाता है। ऐसी स्थिति में दिल की धड़कन कम होती जाती है। जिसका असर न सिर्फ आपके चेहरे पर दिखने लगता है, बल्कि आप समय से पहले 5-7 साल बूढ़े दिखने लगते हैं।

पोटेशियम की पूर्ति के लिए करें इन चीजों का सेवन
अगर आप रोजाना सही मात्रा में पोटेशियम का सेवन करते हैं। तो आप कई बीमारियों से खुद का बचाव कर सकते हैं। WHO के अनुसार, आपको रोजाना कम से कम 3.5 ग्राम पोटेशियम तो जरूर खाना चाहिए। पोटेशियम की पूर्ति के लिए आपको अधिक से अधिक फल व सब्जियों का सेवन करना चाहिए।

प्रोटीन की कमी कर सकती है बीमार
प्रोटीन की कमी होने से शरीर थकान महसूस करने लगता है। प्रोटीन की कमी होने पर बाल झड़ने लगते हैं, नाखून सफेद और हड्डियां कमजोर होने लगेंगी।

प्रोटीन है जरूरी
हमारी हड्डिय़ों, स्किन, मसल्स, बाल और यहां तक शरीर का हर टिश्यू प्रोटीन से बना होता है। इसके साथ ही यह खास तरह का एंजाइम भी बनाता है। बता दें कि ब्लड में हीमोग्लोबिन की मात्रा अच्छी बनी रहने के लिए शरीर में प्रोटीन बेहद जरूरी है। प्रोटीन के पर्याप्त सेवन के लिए फलियां, मोटे अनाज, नट्स और सीड्स, दाल-बीन्स, अंडा, मछली, पनीर और मशरूम आदि का सेवन कर सकते हैं।

सोडियम से हार्ट स्ट्रोक का खतरा
अधिक नमक का सेवन करने से ब्लड प्रेशर तेजी से बढ़ जाता है। वहीं जब आपका ब्लड प्रेशर अधिक होता है तो दिल की सेहत को यह अधिक खतरा होता है। क्योंकि नमक में सोडियम पाया जाता है। जैसे ही इसको हम खाते हैं तो शरीर इसको पतला बनाने के लिए पानी का सहारा लेता है। अधिक नमक के सेवन से कोशिकाओं के आसपास तरल पदार्थ और खून की मात्रा बढ़ जाती है। जब खून ज्यादा होता है, तो इसे पंप करने में हार्ट का काम बढ़ जाएगा। जिसके परिणामस्वरूप दिल जल्दी थकने लगता है। जो हार्ट स्ट्रोक की वजह बन सकता है।

ज्यादा फॉस्फोरस है जानलेवा
आपको बता दें कि नॉर्थ इंडियन खाने में फॉस्फोरस की मात्रा WHO की सुझाई मात्रा से अधिक होती है। क्योंकि अधिक फॉस्फोरस हड्डियों से कैल्शियम को खींच लेता है, जिसके कारण हड्डियां कमजोर होने लगती है। कैल्शियम की पूर्ति के लिए आप इसे अधिक खाएंगे, तो यह फेफड़ों, ब्लड वेसल्स, आंखों और हार्ट में जमा होने लगता है। इसके साथ ही स्ट्रोक और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।
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