जानें क्या है अस्थमा और इनसे बचने के घरेलू उपाय


जानें क्या है अस्थमा और इनसे बचने के घरेलू उपाय

अस्थमा फेफड़ों की एक बीमारी है जिसके कारण सांस लेने में कठिनाई होती है। अस्थमा होने पर श्वास नलियों में सूजन आ जाती है जिस कारण श्वसन मार्ग सिकुड़ जाता है। श्वसन नली में सिकुड़न के चलते सांस लेने में परेशानी, सांस लेते समय आवाज आना, सीने में जकड़न, खांसी आदि समस्‍याएं होने लगती हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए आज के इस लेख में हम आपको बताएंगे अस्‍थमा से जुड़ी समस्‍याएं, कारण और उपचार के बारे में।

अस्‍थमा के प्रमुख कारण

आज के समय में अस्‍थमा का सबसे बड़ा कारण है प्रदूषण। इसी के साथ सर्दी, फ्लू, स्मोकिंग, मौसम में बदलाव के कारण भी लोग अस्‍थमा से ग्रसित हो जाते हैं। कुछ ऐसे एलर्जी वाले फूड्स हैं जिनकी वजह से सांस संबंधी बीमारियां होती हैं। पेट में  एसिड यानी अम्‍ल की मात्रा अधिक होने से भी अस्‍थमा हो सकता है। इसके अलावा दवाईयां, शराब का सेवन और कई बार भावनात्‍मक तनाव भी अस्‍थमा का कारण बनते हैं। अत्‍यधिक व्‍यायाम से भी अस्‍थमा रोग हो सकता है।

अस्‍थमा के प्रकार और उसके कारण

एलर्जिक अस्थमा: एलर्जिक अस्थमा के दौरान आपको किसी चीज से एलर्जी है जैसे धूल-मिट्टी के संपर्क में आते ही आपको लगता है की आपका दम घुट रहा है। या फिर मौसम परिवर्तन के साथ ही आप दमा के शिकार हो जाते हैं।

नॉन-एलर्जिक अस्थमा: इस तरह के अस्थमा का कारण किसी एक चीज की अति होने पर होता है। जब आप बहुत अधिक तनाव में हो या बहुत तेज-तेज हंस रहे हो, आपको बहुत अधिक सर्दी लग गई हो या बहुत ज्यादा खांसी-जुकाम हो। 

एक्सरसाइज इनड्यूस अस्थमा: कई लोगों को एक्सरसाइज या फिर अधिक शारीरिक सक्रियता के कारण अस्थमा हो जाता है तो कई लोग जब अपनी क्षमता से अधिक काम करने लगते हैं तो वे अस्थमा के शिकार हो जाते हैं।

कफ वेरिएंट अस्थमा: कई बार अस्थमा का कारण कफ होता है। जब आपको कई दिन तक शर्दी होती है या खांसी के दौरान अधिक कफ आता है तो आपको अस्थमा अटैक पड़ जाता है।

ऑक्यूपेशनल अस्थमा: ये अस्थमा अटैक अचानक काम के दौरान पड़ता है। नियमित रूप से लगातार आप एक ही तरह का काम करते हैं तो अकसर आपको इस दौरान अस्थमा अटैक पड़ने लगते हैं या फिर आपको अपने कार्यस्थल का वातावरण सूट नहीं करता जिससे आप अस्थमा के शिकार हो जाते हैं।

मिमिक अस्थमा: जब आपको कोई स्‍वास्‍थ्‍य संबंधीत बीमारी जैसे निमोनिया, कार्डियक जैसी बीमारियां होती हैं तो आपको मिमिक अस्थमा हो सकता है। आमतौर पर मिमिक अस्थमा तबियत अधिक खराब होने पर होता है।

चाइल्ड ऑनसेट अस्थमा: ये अस्थमा का वो प्रकार है जो सिर्फ बच्चों को ही होता है। अस्‍थमैटिक बच्चा जैसे-जैसे बड़ा होता जाता है तो बच्चा इस प्रकार के अस्थमा से अपने आप ही बाहर आने लगता है। ये बहुत रिस्की नहीं होता लेकिन इसका सही समय पर उपचार जरूरी है।

अस्‍थमा के इलाज के लिए घरेलू उपचार

लहसुन अस्‍थमा के इलाज में काफी मददगार साबित होता है। इसके लिए आप 30 मिली दूध में लहसुन की पांच कलियां उबालें और इस मिश्रण का हर रोज सेवन करे, ऐसा करने से आपको काफी फायदा मिलेगा।

आपको बता दें की अदरक की गरम चाय में लहसुन की दो पिसी कलियां मिलाकर पीने से भी अस्थमा कम होता है। सुबह और शाम इस चाय का सेवन करने से मरीज को फायदा मिलता है।

अस्‍थमा के इलाज के लिए रोगी पानी में अजवाइन मिलाकर इसे उबालें और पानी से उठती भाप लें, यह घरेलू उपाय काफी फायदेमंद होता है। 

4-5 लौंग लें और 125 मिली पानी में 5 मिनट तक उबालें, और इस मिश्रण को छानकर इसमें एक चम्मच शुद्ध शहद मिलाएँ और इसे पी लें। हर रोज दो से तीन बार यह काढ़ा पीने से आपको निश्चित रूप से फायदा मिलागा। 

अदरक का एक चम्मच ताजा रस, एक कप मेथी के काढ़े और स्वादानुसार शहद ले और इसे मिलाएं। अस्‍थमा के इलाज के लिए यह मिश्रण लाजवाब साबित होता है। मेथी का काढ़ा तैयार करने के लिए एक चम्मच मैथी दाना और एक कप पानी उबालें। हर रोज सुबह-शाम इस मिश्रण का सेवन करने से आपको लाभ मिलगे। 

इन चीजों से करे परहेज

अस्‍थमा में इलाज के साथ बचाव की अवश्‍यकता ज्‍यादा होती है। अस्‍थमा के मरीजों को बारिश और सर्दी से ज्‍यादा धूल भरी आंधी से बचना चाहिए। बारिश में नमी के बढ़ने से संक्रमण की संभावना ज्‍यादा होती है। इसलिए खुद को इन चीजों से बचा कर रखें। 

ज्‍यादा गर्म और ज्‍यादा नम वातावरण से बचना चाहिए, क्‍योकि इस तरह के वातावरण में मोल्‍ड स्‍पोर्स के फैलने की संभावना बढ़ जाती है। 

धूल मिट्टी और प्रदूषण से बचें। घर से बाहर निकलने पर मास्‍क साथ रखें। यह प्रदूषण से बचने में मदद करेगा। सर्दी के मौसम में धुंध में जानें से बचें। धूम्रपान करने वाले व्‍यक्तियों से दूर रहें। घर को डस्‍ट फ्री बनाएं। 

योग के माध्‍यम से अस्‍थमा पर कंट्रोल किया जा सकता है। सूर्य नमस्‍कार, प्राणायाम, भुजंगासन जैसे योग अस्‍थमा में फायदेमंद होते हैं। 

एलर्जी वह जगह और चीजों से दूर रहें। हो सकें तो हमेशा गर्म या गुनगुने पानी का सेवन करें। अस्‍थमा के मरीजों का खानपान भी बेहतर होना चाहिए। 

अस्‍थमा के रोगियों को प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट वाली चीजों का सेवन कम से कम करना चाहिए। कोल्‍ड ड्रिंक, ठंडा पानी और ठंडी प्रकृति वाले आहारों का सेवन नहीं करना चाहिए। अंडे, मछली और मांस जैसी चीजें अस्‍थमा में हानिकारक होती है। 

डिस्क्लेमर: इस लेख के सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन सुझावों और जानकारी को किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर न लें। किसी भी बीमारी के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।


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