इंटरमिटेंट फास्टिंग क्या है और वजन कम करने के लिए किस तरीके से करें यह फास्टिंग

  • Healthy Nuskhe
  • May 15, 2020

इंटरमिटेंट फास्टिंग क्या है और वजन कम करने के लिए किस तरीके से करें यह फास्टिंग

पहले के समय में व्रत रखना भारतीय सभ्यता के रीति- रिवाजों में था, धार्मिक आस्थाओं के लिए व्रत रखें जाते थे। लेकिन आज के समय में अधिकांश लोग वजन काम करने के लिए व्रत रखते हैं। आजकल के व्रतों में इंटरमिटेंट फास्टिंग वजन कम करने का बहुत ही ट्रेंडिंग तरीका है। इसमें कोई स्पेशल डाइट नहीं खाई जाती बल्कि एक खास फास्टिंग का पैटर्न फॉलो किया जाता है।


इसमे खाने और फ़ास्ट के बीच मे 16 घन्टे का गैप रखा जाता है। इसे आप हफ्ते में कई बार अपना सकते हैं। बहुत से डाएटिसियन बताते हैं, कि "राजाओं की तरह नास्ता करना और कंगलो कि तरह डिनर करना" इस पुरानी कहावत को फॉलो चाहिए। ऐसा करने से शरीर की ऊर्जा बढ़ती है,और दिमाग पर कंट्रोल भी बढ़ता है। इंटरमिटेंट फास्टिंग के कई अलग-अलग तरीके हैं। सभी तरीके वजन घटाने में प्रभावी सिद्ध हुए हैं। अगर आप वजन घटाने के लिए मन बना चुके हैं तो फास्टिंग के सभी तरीके आपके लिए मददगार हो सकते हैं। लेकिन जो सबसे अच्छा तरीका है। वह आप खुद ही डिसाइड कर सकते हैं कि इसको कैसे करना है।


इंटरमिटेंट फास्टिंग एक ऐसा डाइट प्लान है जिसमें लंबे समय तक भूखे रहकर एक समय का खाना छोड़ना होता है। साथ ही किस समय आपको भोजन करना है और किस समय नहीं, ये आपको पहले तय करना होता है। कुछ लोग 12 घंटे के अंदर ही खाना ले लेते हैं तो कुछ 14 से 18 घंटे तक फास्टिंग करते हैं। इस फास्टिंग में जब भी भोजन किया जाता है, तब डाइट में कार्बोहाइड्रेट्स  की मात्रा कम और प्रोटीन और फाइबर  की मात्रा अधिक लिया जाता है। जिससे कि शरीर का वजन लंबे समय के लिए कम होता है और शरीर स्वस्थ्य अच्छा होता है।


इस इन्टरमिटेंट फास्टिंग में पानी ज्यादा पीना चाहिए और शुगर फ्री लेमनेड जैसी चीजों का सेवन करना चाहिए। अपनी  भूख को कम करने के लिए पानी, ब्लैक कॉफी, ग्रीन टी, जीरा पानी, लेमन पानी, गर्म पानी आदि ले सकते हैं। बहुत से लोग सब्जियों का शोरबा भी इस्तेमाल करते हैं।


फास्टिंग के दौरान क्या खाएं -
खूब पानी पीएं, ताकि आप अच्छी तरह से हाइड्रेटेड रहें।
नट्स, सेम, फल और सब्जियों जैसे फाइबर से समृद्ध खाद्य पदार्थ खाएं।
मछली, टोफू या नट्स सहित हाई प्रोटीन खाद्य पदार्थ खाएं।


फास्टिंग के अलग-अलग तरीके
1. अल्टरनेट डे फास्टिंग:- अल्टरनेट-डे उपवास का अर्थ है हर दूसरे दिन उपवास करना। आर्थात एक-एक दिन छोड़कर फास्टिंग। इसमें भी कई अलग-अलग राय है। जैसे- कुछ की राय में फास्ट के दौरान लगभग 500 कैलोरी खाने की अनुमति होती है।हर दूसरे दिन एक उपवास करना थोड़ा मुश्किल है।


2. 16/8  फास्टिंग:- 16/8 में हर दिन 14-16 घंटे उपवास करना होता है। 8 से 10 घंटे ही में आप कुछ खाना खा सकते हैं। इस 8 से 10 घंटे में भी आप 2 या 3 से ज्यादा बार खाना नहीं खा सकते हैं। इस तरीके को लीनगेंस प्रोटोकॉल के रूप में भी जाना जाता है। फास्टिंग के इस तरीके को फॉलो करना बहुत सरल हो सकता है। जैसे कि रात के खाने के बाद कुछ भी न खाना और ब्रेकफास्ट को स्किप कर देना।


3. हर हफ्ते 2 दिन के लिए फास्टिंग:- इस डाइट में हफ्ते के 5 दिनों में आम दिनों की तरह खाना खाएं लेकिन सिर्फ दो दिनों तक आपको 500-600 तक कैलोरी लेनी चाहिए। इस डाइट को फास्ट डाइट कहतें हैं। फास्टिंग के दिनों में ये कहा जाता है कि महिलाएं 500 कैलोरी लें, और पुरुषों को 600 कैलोरी लेनी चाहिए। उदाहरण के लिए आप फ्राइडे और मंडे को छोड़कर सभी दिनों में आमतौर पर खाना खा सकते हैं।


4. ईट- स्टॉप- ईट:- इस फास्टिंग में हर हफ्ते एक या दो बार 24 घंटे का उपवास शामिल होता है। इस फास्टिंग को फिटनेस विशेषज्ञ ब्रैड पिलोन द्वारा लोकप्रिय बनाया गया था। अगर आप वजन कम करने के इस विधि को फॉलो कर रहे हैं तो यह जरूरी है कि आप जब भी खाना खाएं नार्मल तरीके से ही खाएं। इस तरीके से न खाएं जैसे- आप फास्टिंग बिल्कुल भी नहीं कर रहे हों।


5. वॉरियर डाइट या फिर दिन में उपवास रात को हैवी डाइट:- द वारियर डाइट को फिटनेस विशेषज्ञ ओरी हॉफमेकलर द्वारा शुरू किया गया था। इसमें दिन के दौरान कम मात्रा में सब्जी और फलों की सलाद खानी होती है, और फिर रात में आप खूब खा सकते हैं।


ये फास्टिंग हीलिंग का काम भी करते हैं क्योंकि फास्टिंग में वे पुराने सेल खत्म हो जाते हैं जोकि अच्छे से काम नहीं करते और उनकी जगह पर नए सेल जनरेट होते हैं। इस प्रोसेस से हमारी इम्युनिटी तो बढ़ती ही है बल्कि वजन कम होना भी एक बेनिफिट है। बहुत से डाएटीसियन का मानना है कि ये खाना खाने का एक नेचुरल तरीका है। ऐसा करने से डायजेस्टिव सिस्टम भी अच्छे से काम करता है। फास्टिंग के समय मे डायजेस्टिव सिस्टम पूरी तरह बंद हो जाता है जिससे कि 80 प्रतिशत एनर्जी डायजेस्टिव सिस्टम ही लेता है । फास्टिंग के दौरान इन्सुलिन लेवल कम हो जाता है और फैट सेल अपनी सुगर को काम करने के लिए देते है।


सुबह के समय शरीर का मेटाबॉलिज्म और ब्लड शुगर अधिक होता है। इसलिए सुबह के समय आप जो भी खाना चाहते हैं, खाने की अनुमति दी जाती है। इन्टरमिटेंट फास्टिंग करने का सहज तरीका है की आप डिनर के बाद कुछ खाए और ब्रेकफास्ट को स्किप करदें। जैसे अगर रात को 8 या 9 बजे खाना खाया है तो अगली दोपहर 12 या 1  बजे तक कुछ न खाएं। इस तरह से 16 घण्टे का गैप हो जाता है और वजन कम करने में सहायता मिलती है। बहुत से लोग लोग जिन्हें कोई हेल्थ से संबंधित दिक्कत हो जैसे-बी पी लो, शुगर आदि उन्हें ये फास्टिंग डॉक्टर या डाइटीशियन की सलाह से करनी चाहिए। अपनी हेल्थ को ध्यान में रखकर ही ऐसे तरीकों को अपनाएं।

डिस्क्लेमर: इस लेख के सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन सुझावों और जानकारी को किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर न लें। किसी भी बीमारी के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।


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