सर्दियों का मौसम सिर्फ ठंड का एहसास नहीं लाता, बल्कि यह मौसम हमारे शरीर को गर्म और हेल्दी बनाए रखने की चुनौती भी पेश करता है। आयुर्वेद जीवन और स्वास्थ्य का विज्ञान है, सर्दियों के दौरान डाइट और लाइफस्टाइल पर विशेष ध्यान देने की सलाह देता है। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बताने जा रहे हैं कि सर्दियों के मौसम में आयुर्वेद के मुताबिक कैसे हेल्दी रह सकते हैं।
सर्दियों का खानपान
सर्दियों में खानपान को औषधि के रूप में देखा जाता है। सर्दियों के साथ हमारे शरीर की पाचन अग्नि भी बदलती है। वहीं सर्दियों में पाचन अग्नि तेज होती है, इसलिए पोषण से भरपूर और गर्म तासीर वाले भोजन का सेवन करना चाहिए। ठंडे और कच्चे खाद्य पदार्थों से बचें, क्योंकि यह शरीर को सुस्त बना सकते हैं।
गर्माहट देने वाले खाद्य पदार्थ
घी और तेल
नारियल तेल, घी और सरसों के तेल का उपयोग करना चाहिए। यह स्किन की नमी को बनाए रखने के साथ शरीर को भीतर से गर्म रखते हैं।
मसाले
काली मिर्च, अदरक, हल्दी और दालचीनी जैसे मसाले न सिर्फ भोजन का स्वाद बढ़ाते हैं। बल्कि शरीर को सर्दियों में भी गर्म रखते हैं।
सर्दियों की सुपरफूड सब्जियां
शकरकंद, गाजर, चुकंदर और मूली जैसी सब्जियों में विटामिन और मिनरल्स पाया जाता है। यह पेट को भरा हुआ महससू कराती है और आप ओवरईटिंग से बच जाते हैं। इसका रोजाना सेवन ब्लड शुगर को कंट्रोल करने और ऊर्जा बनाए रखने में सहायक होती हैं।
साबुत अनाज का महत्व
सर्दियों में साबुत अनाज जैसे ओट्स, जौ और मक्का ऊर्जा का बेहतरीन स्त्रोत होता है। यह शरीर को गर्म रखने के साथ ही पाचन को भी सुधारता है। साबुत अनाज को भोजन में शामिल करने से शरीर का तापमान संतुलित रहता है।
गर्म पेय और सूप का सेवन
सर्दियों में ठंडे पेय पदार्थों की जगह गर्म पेय जैसे अदरक-हल्दी वाला दूध, हर्बल चाय और सब्जियों का सूप पीना चाहिए। यह न सिर्फ शरीर को गर्म रखते हैं, बल्कि इम्यून सिस्टम भी मजबूत होता है।
व्यायाम और मालिश
सर्दियों में रोजाना व्यायाम करने से शरीर सक्रिय बना रहता है। इसके साथ ही गर्म तेल से शरीर की मालिश करने से स्किन को मुलायम और ऊर्जावान बनाता है। व्यायाम और मालिश करने से शरीर ठंड से बचने का सबसे बेहतर तरीका है।
जंक फूड छोड़ें और देसी भोजन अपनाएं
सर्दियों में जंक फूड की जगह देसी और गर्म तासीर वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करें। इस दौरान उपवास करने से बचें, क्योंकि यह पाचन अग्नि को नुकसान पहुंचा सकता है। संतुलित और नियमित आहार से वात दोष को कंट्रोल किया जा सकता है।