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Best Probiotic Foods: प्रोबायोटिक्स फूड्स खाने से कंट्रोल होते हैं बैड बैक्टीरिया, जानिए कब और कैसे करें सेवन

By Healthy Nuskhe | Jul 09, 2025

बैक्टीरिया का नाम सुनते ही हमारे दिमाग में सबसे पहले इंफेक्शन या बीमारी की बात आती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारे शरीर में लाखों ऐसी बैक्टीरिया होते हैं, जोकि स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है। इन बैक्टीरिया को 'गुड बैक्टीरिया' कहा जाता है। यह हमको स्वस्थ रखने में अहम भूमिका निभाते हैं। एक रिसर्च के मुताबिक हमारी बड़ी आंत में 100 लाख करोड़ गुड बैक्टीरिया होते हैं, इनको गट माइक्रोबायोम कहा जाता है। यह शरीर में बैड बैक्टीरिया को कंट्रोल करते हैं। यह बैक्टीरिया न्यूट्रिएंट्स एब्जॉर्प्शन में मदद करती है और कई गंभीर बीमारियों से बचाव होता है।

हालांकि कई बार हम हल्के बुखार या फिर सिरदर्द में एंटीबायोटिक दवाएं ले लेते हैं। जोकि बैड बैक्टीरिया के साथ गुड बैक्टीरिया को भी खत्म कर देती है। इससे बॉडी का माइक्रोबायोम संतुलन 
बिगड़ जाता है। इस कारण कब्ज, गैस, स्किन समस्याएं, कमजोर इम्यूनिटी और थकान जैसी समस्याएं शुरू हो जाती हैं। ऐसे में प्रोबायोटिक्स सप्लीमेंट शरीर में गुड बैक्टीरिया को दोबारा बढ़ाते हैं और स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में सहायता करता है।

शरीर में प्रोबायोटिक्स का काम

प्रोबायोटिक्स आंत में गुड बैक्टीरिया को बढ़ाते हैं, जोकि शरीर के कामकाज में सहायता करते हैं। साथ ही यह बैड बैक्टीरिया को कंट्रोल करते हैं। जब शरीर में किसी वजह से गुड और बैड बैक्टीरिया का संतुलन बिगड़ता है, तो प्रोबायोटिक्स उसको फिर से ठीक करने में सहायता करता है।

प्रोबायोटिक्स शरीर में बस जाते हैं और हेल्दी माइक्रोबायोम बनाने का काम करते हैं। वहीं मार्केट में भी प्रोबायोटिक सप्लीमेंट आते हैं, लेकिन ध्यान रहे कि सभी प्रोबायोटिक्स एक जैसे नहीं होते हैं।

हालांकि कुछ प्रोबायोटिक स्किन और प्राइवेट पार्ट्स के लिए काफी फायदेमंद होते हैं। इसलिए प्रोबायोटिक सप्लीमेंट लेने से पहले एक्सपर्ट की सलाह जरूरी है।

कब लें प्रोबायोटिक्स

आमतौर पर प्रोबायोटिक्स लेने की सलाह तब दी जाती है, जब व्यक्ति बार-बार एंटीबायोटिक दवाएं लेनी पड़ती हों, या फिर पाचन संबंधी समस्या से परेशान हों। स्किन एलर्जी, कमजोर इम्यूनिटी, बार-बार होने वाले यूरिनरी या वेजाइनल इन्फेक्शन और तनाव जैसी स्थितियों में भी प्रोबायोटिक्स फायदेमंद साबित हो सकते हैं। तो वहीं कुछ लोग स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए भी भी प्रोबायोटिक्स लेते हैं।

कितनी तरह के होते हैं प्रोबायोटिक्स और किन स्थितियों में फायदेमंद

प्रोबायोटिक्स कई तरह के होते हैं, जोकि शरीर के अलग-अलग हिस्सों और सेहत संबंधी समस्याओं पर अलग-अलग तरह से काम करता है।

लैक्टोबैसिलस एसिडोफिलस

यह पाचन को सुधारने के साथ लैक्टोज को पचाने में सहायता करता है।

लैक्टोबैसिलस रैम्नोसस

यह डायरिया और स्किन एलर्जी में राहत देता है।

बिफीडोबैक्टीरियम लोंगम 

यह इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है और कब्ज जैसी समस्याओं में मदद करता है।

बिफीडोबैक्टीरियम ब्रेव

यह स्किन संबंधी समस्याओं और इंफ्लेमेशन को कम करने में सहायक होता है।

सैक्रोमाइसेस बोलार्डी

यहडायरिया या अन्य पाचन संबंधी समस्याओं से राहत दिलाता है।

इन फूड्स में पाया जाता है प्रोबायोटिक्स

बिना सिरका के नेचुरल तरीके से तैयार किए गए अचार में
छाछ, लस्सी और दही
नमक पानी में रखा खीरा
गाजर या चुकंदर से बनी ड्रिंक
कंबुचा
साउरक्रॉट

ज्यादा प्रोबायोटिक्स लेने के साइड इफेक्ट्स

गैस या पेट फूलना
हल्का पेट दर्द
कुछ मामलों में सिर दर्द
डायरिया आदि समस्या

प्रोबायोटिक्स लेने का सबसे अच्छा तरीका

दही, छाछ और लस्सी का सेवन करना इसका सबसे अच्छा तरीका है। हालांकि अगर किसी स्वास्थ्य कंडीशन के लिए सप्लीमेंट की जरूरत हो, तो डॉक्टर से सलाह लेकर सही स्ट्रेन और डोज चुनना चाहिए। कुछ प्रोबायोटिक्स सप्लीमेंट खाने के साथ लिए जाते हैं। तो वहीं कुछ खाली पेट लिए जाते हैं।

शरीर में ज्यादा प्रोबायोटिक्स होने के नुकसान

अगर जरूरत से ज्यादा प्रोबायोटिक्स सप्लीमेंट लिए जाते हैं, तो यह बैलेंस को बिगाड़ सकते हैं। इससे डायरिया, गैस या ब्लोटिंग की समस्या हो सकती है। ज्यादा बैक्टीरिया बनने से SIBO जैसी समस्या हो सकती है। इससे आंत में बैक्टीरिया की मात्रा जरूरत से ज्यादा बढ़ जाती है। लेकिन फूड्स के जरिए प्रोबायोटिक्स लेने का खतरा न के बराबर होता है।

शरीर में गुड बैक्टीरिया की कमी का ऐसे लगाएं पता

शरीर में गुड बैक्टीरिया की कमी होने पर शरीर खुद संकेत देने लगता है। इस दौरान डायरिया, थकान, कब्ज, गैस, स्किन एलर्जी, इन्फेक्शन, खाना पचने में परेशानी या इम्यून सिस्टम कमजोर लगना शामिल है। इन संकेतों से पता चलता है कि शरीर में गुड बैक्टीरिया की संख्या कम हो रही है।

वहीं कुछ मेडिकल लैब्स गट माइक्रोबायोम टेस्ट भी करती हैं। इससे आंतों में मौजूद बैक्टीरिया की जानकारी मिलती है। हालांकि यह टेस्ट काफी महंगे होते हैं।

प्रोबायोटिक्स और प्रीबायोटिक्स में अंतर

प्रोबायोटिक्स वह गुड बैक्टीरिया हैं, जो शरीर को हेल्दी रखते हैं। वहीं प्रीबायोटिक्स ऐसे फाइबर होते हैं, जो इन गुड बैक्टीरिया का खाना बनाते हैं और इनको बढ़ाने में सहायता करता है। सेब, केला, ड्राई फ्रूट्स, लहसुन, प्याज, गोभी और जौ जैसे कुछ फूड्स प्रीबायोटिक रिच होते हैं। इनका सेवन करने से प्रोबायोटिक्स को ताकत मिलती है। प्रोबायोटिक्स हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है।
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