Intermittent Fasting: वेट लॉस के लिए अपनाएं इंटरमिटेंट फास्टिंग, जानिए किन लोगों के लिए सही नहीं ये डाइट
- अनन्या मिश्रा
- Jun 22, 2023
आपको जानकर हैरानी होगी कि बॉलीवुड अभिनेता मनोज बाजपेयी पिछले 14 सालों से रात का डिनर स्किप कर रहे हैं। बता दें कि एक्टर ने हाल ही में अपनी डाइट से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा शेयर किया है। उन्होंने एक किस्सा शेयर करते हुए बताया कि उनके दादाजी रात को खाना नहीं खाते थे, फिर भी वह फिट और हेल्दी थे। अपने दादाजी से प्रेरित होकर एक्टर ने भी रात का खाना छोड़ दिया। एक्टर ने बताया कि इससे उनकी बॉडी में कई जबरदस्त बदलाव देखने को मिले। मनोज बाजपेयी ने बताया कि उन्होंने पहले 12-14 घंटे का उपवास रखा। फिर धीरे-धीरे कर उन्होंने पूरी तरह से रात का खाना स्किप कर दिया।
जब कोई व्यक्ति कई घंटो तक खाना नहीं खाता है तो इसे इंटरमिटेंट फास्टिंग के रूप में जाना जाता है। इस फास्टिंग को वेट लॉस के लिए काफी अच्छा माना जाता है। हेल्थ डाइटीशियन भी इस डाइट को फॉलो करने की सलाह देते हैं। लेकिन क्या यह आपके लिए भी सही है। आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको इंटरमिटेंट फास्टिंग के बारे में बताने जा रहे हैं। आइए जानते हैं इससे होने वाले फायदे और नुकसान के बारे में...
जानिए क्या है इंटरमिटेंट फास्टिंग
बता दें कि इंटरमिटेंट फास्टिंग खाने का एक पैटर्न है। इस पैटर्न के तहत आपको हर दिन कुछ घंटों के लिए खाने को स्किप करना होता है। इसे वजन घटाने के लिए एक बढ़िया ऑप्शन माना जाता है। इस डाइट के जरिए मस्तिष्क और हृदय स्वास्थ्य में भी सुधार देखने को मिलता है। इस डाइट को अलग-अलग तरीके से फॉलो किया जाता है। आइए जानते हैं कि इस डाइट को कैसे फॉलो किया जाता है।
16/8 की विधि
इस तरह में व्यक्ति को अपना नाश्ता छोड़ना होता है और अपने डेली खाने की अवधि को सिर्फ 8 घंटे तक ही सीमित करना होता है। उदाहरण के तौर पर अगर आप दोपहर 1 बजे से 9 बजे के बीच खाना खाते हैं। इस समय के बाद आपको खाना नहीं खाना होता है। वहीं कुछ लोग इस समय में नाश्ता करते हैं और रात का खाना स्किप कर देते हैं।
ईट-स्टॉप-ईट
इस डाइट में आपको 24 घंटे फास्टिंग यानी की उपवास करना होता है। सप्ताह में एक या दो बार 24 घंटे का उपवास रखना होता है।
5:2 विधि
इस तरह की डाइट को फॉलो करने के लिए सप्ताह के दो दिनों में सिर्फ 500 से 600 कैलोरीन लेनी होती है। इन दो दिनों के अलावा आप सप्ताह के अन्य दिनों में सामान्य रूप से खाना खा सकते हैं।
फायदे
इंटरमिटेंट फास्टिंग से वेट ल़ॉस में मदद मिलती है। इससे कैलोरी इनटेक कम होता है, जिसकी वजह से वजन घटने लगता है।
वहीं डिनर स्किप करने से टाइप 2 डायबिटीज के खतरे को कम किया जा सकता है। वहीं वजन कम होने से डायबिटीज का खतरा नहीं होता है।
इस डाइट को फॉलो करने से हार्ट हेल्थ में सुधार होता है और दिल के रोगों के जोखिम को कम किया जा सकता है।
इंटरमिटेंट फास्टिंग करने से मेंटल हेल्थ अच्छी रहती है और ध्यान केंद्रित करने में आसानी होती है।
इस डाइट से शरीर के सूजन को भी कम किया जा सकता है।
इंटरमिटेंट फास्टिंग करने से हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल और ब्लड प्रेशर को कम किए जाने में सहायक होता है।
नुकसान
इंटरमिटेंट फास्टिंग का सबसे सामान्य दुष्प्रभाव भूख का लगना है। जब आप कम कैलोरी लेते हैं तो आपको भूख भी जल्दी लगती है।
लंबे समय तक खाना न खाने से आपको सिरदर्द की शिकायत हो सकती है।
इस डाइट के दौरान पाचन संबंधी समस्या जैसे कब्ज, मितली और डायरिया आदि हो सकती है।
भूख लगने की वजह से आपके अंदर चिड़चिड़पन और मूड स्विंग की समस्या हो सकती है।
इंटरमिटेंट फास्टिंग शरीर में जरूरी पोषक तत्वों की कमी हो सकती है।
इस डाइट से आपका ब्लड शुगर लेवल कम हो सकता है। वहीं शरीर में एनर्जी लेवल कम होने के साथ ही थकावट भी लग सकती है।
इंटरमिटेंट फास्टिंग से नींद संबंधी समस्याएं बढ़ सकती हैं।
इंटरमिटेंट फास्टिंग सुरक्षित है या नहीं
आमतौर पर इंटरमिटेंट फास्टिंग को सुरक्षित माना जाता है। लेकिन यह डाइट सभी के लिए सुरक्षित नहीं होती है। वहीं अगर आप प्रेग्नेंट हैं या फिर छोटे बच्चे को स्तनपान कराती हैं तो खाना स्किन करना अच्छा नहीं माना जाता है। इस डाइट को फॉलो करने के दौरान आपको पूरा एहतियात बरता चाहिए।
किसे नहीं करनी चाहिए इंटरमिटेंट फास्टिंग
गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को
जो लोग किसी बीमारी की दवाई ले रहे हो
छोटे बच्चों और किशोरों को
डायबिटीज रोगियों को
हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, इंटरमिटेंट फास्टिंग सभी लोगों के लिए सही नहीं मानी जाती है। खासकर डायबिटीज या हृदय रोग, निम्न रक्तचाप वाले लोगों को इस डाइट को फॉलो करने से बचना चाहिए। इंटरमिटेंट फास्टिंग करने से पहले आपको हेल्थ एक्सपर्ट्स की सलाह जरूर लेनी चाहिए।
डिस्क्लेमर: इस लेख के सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन सुझावों और जानकारी को किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर न लें। किसी भी बीमारी के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।